इंफाल : मणिपुरी में हिंसा पूरी तरह से थमी नहीं है। महिलाओं ने भी एक दूसरे समुदाय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। 3 मई से शुरू हुई हिंसा के बाद सरकारी दफ्तरों में भी कामकाज काफी प्रभावित है। बड़ी संख्या में कर्मचारी अपनी ड्यूटी नहीं कर रहे हैं। ऐसे में भाजपा सरकार ने उपर सख्ती बरतने का फैसला किया है। सरकार ने कहा है कि सोमवार से उन लोगों को भुगतान नहीं किया जाएगा जो कि बिना छुट्टी लिए काम नहीं कर रहे हैं।
जनरल ऐडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ने कर्मचारियों को नोटिस भेज दिया है और कहा है कि सरकार सामान्य हालात बहाल करने की कोशिश कर रही है। ऐसे में दफ्तरों को संचालित करना है। ऐडमिनिस्ट्रेटिव सेक्रेटरी से उन सभी कर्मचारियों की सूची मांगी गई है जो कि हिंसा के बाद से उपस्थित नहीं हुए हैं। उनका नाम, पद, ईआईएन और वर्तमान पते की डीटेल मांगी गई है।
बता दें कि दो दिन पहले मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह दिल्ली पहुंचे थे। इसके बाद उन्होंने कहा था कि 13 जून के बाद से किसी की मौत नहीं हुई है। केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर स्थिति को काफी हद तक संभाल लिया है। बता दें कि हिंसा शुरू होने के बाद से ही सशस्त्र बल राज्य में तैनात हैं और बड़ी संख्या में कर्मचारियों और लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। अब कर्मचारी अपना घर छोड़कर दूसरे जिले में काम करने जाने से डरते हैं। वहीं राज्य के सचिवालय में काम करने वाले कर्मचारियों का उनके गृह जिले में ट्रांसफर भी नहीं किया जा सकता।
ऐसे में कई अधिकारियों ने सरकार को पत्र लिखा है और कहा है कि दूसरे जिले के कर्मचारियों को कोई और विकल्प दिया जाए। वहीं 12 जून को हुई कैबिनेट बैठक में ही फैसला किया गया था कि जो लोग काम नहीं करेंगे उन्हें सैलरी भी नहीं दी जाएगी। वहीं सरकार ने ट्रांसफर को मंजूरी भी दी थी। राज्य सचिवालय के एक अधिकारी ने कहा, हिंसा के चलते हमें कैंप में शरण लेनी पड़ी। हमारी एक कलीग को लोगों ने पीट-पीटकर मार डाला। अभी हमारा घाव एकदम ताजा है। ऐसे में हम काम पर कैसे जा सकते हैं।