हिमाचल के 56 स्कूलों में नहीं पीने का पानी
हाल ही में हुई सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग की बैठक में यह खुलासा खुद सर्वशिक्षा अभियान के अधिकारियों ने किया है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के मुताबिक स्कूलों में पीने के पानी का प्रबंध प्राथमिकता से होना चाहिए, मगर ऐसा नहीं हो पाया है। जिला सिरमौर में 37, शिमला में 6, सोलन में एक और लाहौल-स्पीति में 12 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है।
इनमें भी ज्यादातर प्राइमरी स्कूल हैं। ‘अमर उजाला’ ने ग्राउंड रिपोर्ट सामने लाई, जिसमें केस स्टडी के तौर पर पाया कि सिरमौर जिले के नौहराधार क्षेत्र की दूरदराज क्षेत्र कोली बाग प्राइमरी स्कूल में चार लड़के और चार लड़कियां ही पढ़ते हैं। स्कूल वर्ष 2006 से चल रहा है, लेकिन आज तक स्कूल में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं हो पाई।
शिक्षा खंड सतौन राजकीय प्राथमिक विद्यालय शिंगी में डेढ़ किमी दूर पीने के पानी को ढोकर लाया जाता है। जिला शिमला में तहसील कोटखाई के प्राइमरी स्कूल बगहार में करीब एक साल से पेयजल किल्लत चल रही है। बच्चों को या तो साथ पानी लाना पड़ रहा है या फिर प्यास बुझाने के लिए करीब डेढ़ किलोमीटर दूर सड़क के किनारे लगे हैंडपंप के पास जाना पड़ रहा है।
उपमंडल चौपाल के तहत प्राइमरी स्कूल टेलर (परगना किरण) में कई साल से पीने का पानी नहीं मिल रहा है। बच्चे करीब एक किलोमीटर दूर नाले से पानी पीकर काम चला रहे हैं। छोटे बच्चों को शौच के लिए पानी उपलब्ध न होने से उनको अधिक परेशानी हो रही है।
सर्वशिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक घनश्याम चंद ने कहा कि जिन स्कूलों में पीने के पानी का बंदोबस्त नहीं हुआ है, उनमें मामला आईपीएच विभाग की हाल ही की बैठक में रखा गया है। जिन स्कूलों में पेयजल नहीं है, उनमें इसका प्रबंध करवाया जा रहा है।