दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ जयपुर. उदयपुर. हर बड़े बदलाव की शुरुआत खुद से होती है। कहानी उदयपुर के देवेन्द्र अग्रवाल की है। वही देवेन्द्र जिन्होंने 12 साल पहले प्रदेश में उदयपुर से पालना गृह की शुरुआत की, जिनकी मुहिम से 133 बच्चियों को परिवार मिल सका, जिनके प्रयासों से उदयपुर में उत्तर भारत का पहला मदर मिल्क बैंक शुरू हो सका। अब देवेन्द्र बेटी गार्डन की शुरूआत करने जा रहे हैं।
बेटी गार्डन एक विचार है, बेटी के जन्म को महोत्सव बनाने का। यहां हर आम परिवार की तरह जन्मोत्सव मनाया जाएगा। जन्म संस्कार किए जाएंगे। फर्क यह है… यहां उन बच्चियों के लिए उत्सव मनाया जाएगा, जिन्हें समाज ने ठुकरा दिया है। आम लोग भी चाहें तो अपनी बेटियों का जन्मोत्सव मना सकेंगे। उनके लिए भी मुफ्त में सभी जन्म संस्कार कराए जाएंगे। देवेन्द्र ने 12 साल पहले लावारिस पाई गईं नवजात बच्चियों के लिए महेशाश्रम की शुरूआत की थी।
जिद एक बेटी पाने की, कानूनी लड़ाई लड़ी, अब सैकड़ों बेटियों के पिता
कहानी 10-12 साल पहले उदयपुर से शुरू होती है। देवेंद्र को दो बेटों के बाद एक बेटी पाने की ख्वाहिश थी। पति-पत्नी ने ठान लिया-अपना परिवार नहीं बढ़ाएंगे, लेकिन किसी जरूरतमंद को अपना परिवार जरूर देंगे। देवेंद्र ने पत्नी को राजी किया कि ऐसी किसी बच्ची को घर लाएंगे, जिसे परिवार ने ठुकराया होगा। देवेंद्र ने सार्वजनिक जगह पर पालना रखा।
लोगों ने विरोध किया, पुलिस ने केस। पालने में बच्चों को छोड़ना गैरकानूनी बताते हुए पुलिस ने रोक लगा दी। देवेंद्र के घर पल रहे बच्चों को भी उनसे छीन लिया गया। उन अज्ञात लोगों पर भी केस किया गया, जिन्होंने बेटियों को पालने में रख छोड़ा था। देवेंद्र कोर्ट पहुंच गए। कोर्ट ने भी माना-पालने में बच्चा छोड़ने वाले लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होनी चाहिए। फैसला देवेन्द्र के हक में आया। तब से यह मुहिम शुरू हो गई। इस आश्रम से 112 बच्चों को अलग-अलग परिवारों में गोद दिया जा चुका है।
एडॉप्शन के लिए कोई एक कानून न होने का मामला भी उनकी पहल पर संसद में भी उठाया गया, जहां इसे अधिसूचना के रूप में एक आधार मिला। अंतत: केंद्र सरकार ने कुछ ही समय पहले कारा एक्ट लागू किया। कारा एक्ट में एडॉप्शन के लिए दी गई गाइडलाइन्स में से ज्यादातर वे हैं जो महेशाश्रम से ही शुरू हुईं।
अब तीन राज्यों में ऐसा प्रोजेक्ट शुरू करने का प्रस्ताव
– हरियाणा, उप्र और उत्तराखंड में पालना और मदर मिल्क बैंक जैसे प्रोजेक्ट शुरू करने का प्रस्ताव।
– देवेन्द्र ने दुष्कर्म पीडि़ताओं के लिए जीवनी आश्रय शुरू किया है। यहां यौन शोषण से गर्भवती महिलाओं के लिए काम किया जाता है।
– देवेन्द्र ने दुष्कर्म पीडि़ताओं के लिए जीवनी आश्रय शुरू किया है। यहां यौन शोषण से गर्भवती महिलाओं के लिए काम किया जाता है।