उमड़-घुमड़कर बिना बरसे बादल लौटे, खेतों में पड़ी दरारें; सूखे की आहट से डरे किसान
बस्ती संतकबीरनगर : यूपी के पूर्वांचल और मध्य यूपी में लोग बेसब्री से बारिश का इंतजार कर रहे हैं। इस बीच बस्ती और संतकबीरनगर जैसे जिलों में बादल उमड़-घुमड़ कर लौट जा रहे हैं। बादलों की बेरुखी ने किसानों की उम्मीदें तोड़ दी हैं। खेत सूख गए हैं। रोपी जा चुकी धान की फसल झुलस रही है। किसान और निराश और चिंतित हैं।
बस्ती में सोमवार को आसमान में बादल छाए तो रहे, लेकिन बारिश नहीं हुई। पूरे दिन धूप-छांव का खेल चलता रहा। लोग बारिश की बूंद के लिए तरसते रहे। लोग चिपचिपी गर्मी और उमस से बेहाल नजर आए। दिन में कभी-कभी इतनी तेज धूप हुए कि लोग सिर को ढंककर निकलते दिखे। वहीं रोपी गई धान फसल झुलस जा रही है। किसान अपनी फसल बचाने को अभी से मशक्कत कर रहे हैं। पंपिंगसेट ही सहारा बना है। पिछले 10 दिन से बारिश नहीं होने से खेतों में दरारें पड़ गई हैं, जिसे देखकर किसान फसल को लेकर गहरी चिंता में डूब गए हैं। बढ़ते तापमान ने भी किसानों को परेशान कर दिया है। सोमवार को दिन में अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस रहा। कृषि विभाग के अनुसार जिले में अभी तक सिर्फ 130 मिली मीटर वर्तमान समय तक बारिश हुई है।
जबकि मौसम विभाग के अनुसार जुलाई माह में औसतन वर्षा 330 मिमी होनी चाहिए। जिला कृषि अधिकारी मनीष कुमार सिंह का कहना है कि बारिश नहीं होने से धान फसल को नुकसान पहुंचेगा। जिले में इस बार 1 लाख 10 हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की रोपाई हुई है। कृषि विज्ञान केंद्र बंजरिया के अनुसार आगामी 24 घंटे हल्के बादल छाए रहेंगे। बारिश होने की संभावना नहीं है।
संतकबीरनगर में मानसून किसानों को पूरी तरह से दगा दे रहा है। अब तक जिले में 50 फीसदी से कम बरसात हुई है, जबकि खरीफ की फसल मुख्य रूप से धान की फसल मानी जाती है। धान की फसल की अब तक 90 फीसदी रोपाई हो चुकी है। धान की रोपाई जो रह गई है वह किसान की दुविधा की वजह से है। इसकी वजह से धान की रोपाई पिछड़ गई है।
मौसम विभाग की माने तो जिले में अब तक 395 मिमी बरसात अब तक हो जानी चाहिए। मानसून रूठा हुआ होने के कारण किसानों की उम्मीदों पर कुठाराघात हुआ। अब तक 195 मिमी ही बरसात हुई है। लक्ष्य का लगभग 50 फीसदी पानी कम बरसा है। इसकी वजह से धान की रोपाई मंद गति से हुई, वरना अब तक धान की फसलें लहलहा रही होती। शुरू से ही किसानों को इस बता का डर सता रहा है कि कहीं मौसम दगा न दे दे और सूखे का सामना करना पड़े। इस दौरान मौसम अनुकूल मानते हुए किसान तेजी से धान की रोपाई की।
जिले में लगभग 87 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती करने का लक्ष्य है। इस बार जून का महीना तल्ख रहा तो किसानों ने भी देर से धान की बेरन डाली। दूसरे मानसून की देरी ने किसानों को रुला दिया। यही कारण है कि जून माह के अंत तक धान जिले में धान की रोपाई हो जाती थी। जुलाई माह का दूसरा पखवारा भी बीतने को है, लेकिन अभी तक जिले में 90 फीसदी ही धान की रोपाई हो पाई है।
बरसात कम होने की दशा में किसान को प्लान बी भी बना कर चलना होगा। किसानों को चाहिए कि ऊंचाई वाले स्थानों पर धान की खेती करने से परहेज करें। जहां पर धान के फसल की समुचित सिंचाई के साधन न हों उन खेतों में भी धान की रोपाई न करें। ऊंचाई वाली जमीन पर किसान ज्वार, बाजार, मक्का, अरहर, मेडुआ और उड़द, तिल जैसी फसलों की बोआई करें। यदि धान की रोपाई कर चुके हैं तो इंतजार करें। 15 सितम्बर तक सूखे की स्थिति बनती है तो फौरी तौर पर तोरिया और लाही की बुवाई करें।