मां नर्मदा की गोद में अदभुत भक्ति का संगम, साधु 35 सालों से नर्मदा के तट पर करते आ रहे आराधना
नई दिल्ली : अशोक दायमा पिछले करीब 35 सालों से 55 किलोमीटर की दूरी तय कर महेश्वर नर्मदा स्नान के लिए आ रहे हैं. वे पिछले 6 सालों से वे लगातार मां (Mother) नर्मदा के तट पर आ रहे हैं. मध्य प्रदेश के खरगोन जिले की पर्यटन नगरी महेश्वर जिसे मां अहिल्या की राजधानी भी कहा जाता है. यहां मां नर्मदा की गोद में अभुदत भक्ति का संगम देखने को मिलता है. जहां नर्मदा मैया का एक भक्त पिछले करीब 35 साल से नर्मदा स्नान के साथ नर्मदा मैया की गोद में धार्मिक ग्रंथों जैसे रामायण, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा का पाठ करता आ रहा है. ये आस्था ही है जो 55 किलोमीटर दूर से अशोक दायमा को नर्मदा तट खींच लाती है. वे पिछले 6 सालों से प्रतिदिन आकर नर्मदा जल में पद्मासन लगाकर पाठ करते आ रहे हैं.
महेश्वर के ग्राम नालछा तहसील पीथमपुर जिला धार निवासी अशोक दायमा जो कि पेशे से शिक्षक हैं और बालक आश्रम मेघापूरा की मिडिल स्कूल के बच्चों को पढ़ाते हैं. अशोक दायमा पिछले करीब 35 सालों से 55 किलोमीटर की दूरी तय कर महेश्वर नर्मदा स्नान के लिए आ रहे हैं. पहले कुछ विशेष अवसरों पर ही आते थे लेकिन पिछले 6 सालों से वे लगातार मां नर्मदा के तट पर आ रहे हैं.
यह मां नर्मदा के प्रति उनकी आस्था है की प्रतिदिन 110 किलोमीटर की दूरी तय कर वह यहां हर परिस्थिति को पार करते हुए आते हैं और मां नर्मदा के जल में पद्मासन लगाकर मां नर्मदा के जल में रुद्राष्टक,नर्मदा अष्टक, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड एवं अंत में आरती करते हैं. यह कर्मकांड करीब डेढ़ घंटे चलता है. इस प्रकार अपने जीवन से प्रतिदिन 4 घंटे वह मां नर्मदा को देते हैं जिसमें 2 घंटे आने-जाने के रहते हैं. अशोक दायमा 15 अगस्त और 26 जनवरी राष्ट्रीय पर्व पर दोनों हाथों में तिरंगा लेकर करीब एक घंटा नर्मदा में ध्वज फहराते हैं.
दायमा ने अपनी बातचीत के दौरान बताया,”मैया की कृपा से इतने वर्षों तक से आ रहा हूं और सुरक्षित आवागमन होता है कभी कोई दुर्घटना या हादसा नहीं हुआ है चाहे कड़कती ठंड हो गर्मी हो या बारिश हो वह महेश्वर आने का क्रम नहीं तोड़ते हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें कई ग्रंथ कंठस्थ हैं. अशोक दायमा की अभी उम्र करीब 58 साल की है लेकिन उनकी चुस्ती फुर्ती में वृद्धावस्था नहीं झलकती है.”
दायमा नालछा के चौसठ जोगनी मंदिर के सामने स्थित मानसरोवर तालाब में भी त्योहारों और विशेष अवसरों पर पद्मासन लगाकर सुंदरकांड का पाठ करते हैं, जिसे सुनने बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. अशोक दायमा इस प्रकार पद्मासन लगाकर विभिन्न धार्मिक ग्रंथों का पाठ मध्यप्रदेश ही नहीं भारत के कई धार्मिक स्थलों पर भी कर चुके हैं