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पहली बार उल्का पिंड से हुई किसी इंसान की मौत?

metorite-in-vellore1-56b989d4c71cd_exlstदस्तक टाइम्स एजेन्सी/तमिलनाडु के वेल्लोर में स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज में शनिवार को एक जबरदस्त धमाका हुआ था। इसके अगले ही दिन तमिलनाडु सरकार ने यह दावा किया कि यह धमाका उल्का पिंड की वजह से हुआ था। जिस पर कई वैज्ञानिकों ने सवाल उठाए।

वैज्ञानिकों का कहना है कि पहले ऐसी कोई घटना नहीं हुई फिर किस आधार पर तमिलनाडु सरकार ने इसकी पुष्टि कर दी कि यह धमाका उल्का पिंड की वजह से ही हुआ था। हालांकि, धमाके वाले दिन राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला के एक वैज्ञानिक ने घटना स्थल का जायजा लेने के बाद कहा था कि धमाका उल्का पिंड की वजह से ही हुआ। वह वैज्ञानिक 26 जनवरी को भी इसी तरह के एक घटना की जांच कर रहा था और कॉलेज के पास ही अपना शिविर लगाया था।

इसके अगले दिन ही तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने यह घोषणा कर दी कि यह धमाका उल्का पिंड की वजह से हुआ था। साथ ही उन्होंने धमाके में मरने वाले व्यक्ति के परिवार को एक लाख और घायल व्यक्तियों को 25 हजार रुपये मुआवजे का ऐलान भी कर दिया। वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि बस ड्राइवर की मौत सच में उल्का पिंड की वजह से ही हुई है तो यह इतिहास में दर्ज ऐसी पहली मौत होगी।

 इस धमाके में कॉलेज के एक बस ड्राइवर की मौत हो गई थी। इसके अलावा दो माली और एक छात्र घायल भी हुए थे। धमाके के वक्त कॉलेज में पढ़ाई हो रही थी जिसकी वजह से सारे छात्र, अध्यापक और कर्मचारी बिल्डिंग के अंदर थे। धमाके के वक्त बस ड्राइवर कामराज नल पर मुंह धुल रहा था जिसमें उसकी मौत हो गई। धमाके इतना जोरदार था कि कॉलेज की बिल्डिंग के शीशे टूट गए और पास में ही खड़ी गा़ड़ियों को भी भारी नुकसान पहुंचा।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक जिस जगह पर धमाका हुआ वहां पर काफी बड़ा गड्ढ़ा बन गया। उस जगह से पुलिस ने एक काले रंग का पत्थर बरामद किया जो करीब 11 किलो वजनी था।एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक इस पत्थर की जांच बेंगलुरू स्थित भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के वैज्ञानिकों से कराया जाएगा जिसके इस बात कि पुष्टि हो सके कि यह उल्का पिंड के ही अवशेष हैं।

 इसके अलावा बम स्क्वाड टीम ने मलबे की माइलापुर में स्थित क्षेत्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में कराई। पुलिस के मुताबिक प्रारंभिक जांच में ऐसा कोई तथ्य सामने नहीं आया है जिससे इस बात की पुष्टि हो कि यह धमाका किसी विस्फोटक पदार्थ की वजह से हुआ था।

जांच दल के मुताबिक फिलहाल कामराज की फाइनल पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आ जाने के बाद ही इस बात की पुष्टि हो पाएगी कि आखिर उसकी मौत कैसे हुई। इस मामले की कई बड़ी संस्थाओँ से जांच की मांग की गई है और कई वैज्ञानिक भी मौके पर इसकी जांच कर रहे हैं।मार्स ऑर्बिटर मिशन के प्रोजेक्ट के निदेशक वी आदिमूर्ति ने बताया कि ‘अंतर्राष्ट्रीय उल्का संगठन द्वारा वर्ष 2016 के लिए जारी किए गए कैलेंडर में फरवरी माह में किसी तरह के उल्का वृष्टि की चर्चा नहीं की गई है।’ कैलेंडर के मुताबिक पहला उल्का पात 3 जनवरी को हुआ था और अगला 22 से 23 अप्रैल के बीच होने की बात कही गई है।

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