रायपुर : देशभर में ऑनलाइन गेमिंग का क्रेज बढ़ता जा रहा है। बच्चे, युवा और बुजुर्ग लगभग सभी उम्र के लोग इसकी गिरफ्त में हैं। इन्हीं में से एक ‘महादेव ऐप’ ने छत्तीसगढ़ में हजारों लोगों को चूना लगाया। पिछले साल जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इसकी जांच शुरू की तो घोटाले का आकार देख अफसर भी हैरान रह गए। गेमिंग ऐप के बैंक खाते से पिछले एक साल में कुल 5000 करोड़ रुपये की लेन-देन की गई है। छत्तीसगढ़ पुलिस ने इस मामले में पिछले साल 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था। हैरानी की बात तो यह है कि ईडी लगातार कार्रवाई के बाद भी महादेव ऑनलाइन गेमिंग से अब भी बड़ी बैटिंग हो रही है।
ED की एक टीम ने 4 आरोपियों ASI चंद्रभूषण वर्मा, सतीश चंद्राकर, अनिल दमानी और सुनील दमानी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में स्पेशल जज अजय सिंह राजपूत की कोर्ट में पेश किया है। आरोप है कि इन्होंने हवाला के जरिये बड़ी रकम की हेरीफेरी की है। ईडी के अधिवक्ता सौरभ पांडे ने मीडिया को बताया कि यह पूरी कार्रवाईई कार्यवाही महादेव ऐप से जोड़कर की गई है। यह एक बेटिंग ऐप है। महादेव ऐप में बैटिंग करवा करके और बहुत सारा पैसा कमाया गया है। हवाला के थ्रू न सिर्फ इंडिया बल्कि विदेश में भी फंड ट्रांसफर किया गया है। 2022 से ऑनलाइन सट्टा पर ईडी की नजर थी। ईडी के अफसर अभी इस मामले की जांच कर रहे हैं। आने वाले समय में कई और बड़े खुलासा होने की उम्मीद है।
एक वरिष्ठ पुलिस अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस मामले में जांच के दौरान कुल 10 हजार से ज्यादा बैंक खातों की जानकारी सामने आई थी। ये सभी बैंक खाते सेविंग खाते हैं। महादेव ऐप के संचालक सेविंग खातों से फ्रॉड किए पैसों को कॉर्पोरेट खाते में भेज दिया करते थे। इस ठगी को दुबई से ऑपरेट किया जा रहा था। मुख्य सरगना दुबई में है। दुबई में बैठकर भारत के हजारों मध्यम वर्गीय परिवार को ठगा गया है। ईडी इस मामले की जांच कर रही है। पिछले साल दुर्ग एसपी ने ऐसे कई मामलों का खुलासा भी किया था, जिसमें ऑनलाइन सट्टा के लिए गरीबों के बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया था। उन बैंक खातों में करोड़ों रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ था।
पुलिस के मुताबिक मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने अनुमान लगाया था कि पिछले एक साल में महादेव ऐप के जरिए 5 हजार करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है। इसका संचालन छत्तीसगढ़ से हो रहा था। छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में इसके 30 सेंटर थे। हर सेंटर से करीब 200 करोड़ रुपये का लेन-देन किया गया है। पिछले साल लगभग 10 लाख लोगों ने महादेव गेमिंग ऐप पर सट्टा लगाया। ये सट्टा 500 रुपये से लेकर 5 हजार रुपये तक के होते थे। महादेव ऐप को संचालित कर रहे लोगों ने गरीब लोगों के खाते उधार लिए और उसी में फ्रॉड किए पैसों को जमा करते गए।
ईडी ने इस मामले में 9 दिसंबर 2022 को दुर्ग पुलिस को एक पत्र भी लिखा था, जिसमें धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत जांच करने बैंकिंग लेन-देन की जानकारी मांगी थी। ईडी के मुताबिक, ऑनलाइन गेमिंग एप्लिकेशन से जुड़े ज्यादातर मामले दुर्ग जिले के भिलाई के सुपेला और दुर्ग के मोहनगर थाने में दर्ज हैं। ईडी ने दुर्ग पुलिस को लिखे पत्र में उन बैंक खातों की जानकारी और FIR की कॉपी मांगी थी। तब दुर्ग के तत्कालीन एसपी ने महादेव सट्टा-एप को लेकर जिले में अभियान भी चलाया था, जिसमें कई कॉर्पोरेट खाते शेल कंपनियों से जुड़े पाए गए थे, जिनसे फ्रॉड किए पैसे विदेश भेजे जाते थे। पुलिस ने दूसरे राज्यों तक ऑनलाइन एप के कनेक्शन बताए थे।
इस गेम की शुरुआत 500 रुपये से शुरू होती है। अगर कस्टमर हार भी जाता है, तब भी उसे जीता हुआ दिखाया जाता है और उन्हें पैसे भेज दिए जाते हैं। यह रुपये खाते में पहुंचता है। इस ऐप में लोगों को छोटी-छोटी रकम में जीत मिलती रहती है। लगातार जीत देकर बैटिंग करने वालों का भरोसा जीतकर सट्टे का लत लगवाया जाता है और फिर बाद में जब कोई बड़ी रकम लगाता है तो वह हार जाता है। बड़ी रकम पाने की लालसा और कम समय में ज्यादा कमाई के चक्कर में कई लोग अपनी गाढ़ी कमाई भी इस ऑनलाइन सट्टा एप में लुटा देते हैं। ऑनलाइन गेम के सॉफ्टवेयर की कमांड संचालकों के हाथ में होने के कारण इसमें खेलने वाले की हार लगभग तय होती थी।