प्रदेश में पर्यावरण के लिए व्यक्तिगत, शासकीय और सामुदायिक स्तर पर कार्य किया जा रहा है: मुख्यमंत्री चौहान
भोपाल : राष्ट्रीय स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2023 में इंदौर ने देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। देश के 10 दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में अव्वल रहने पर इंदौर को एक करोड़ 10 लाख रुपए का प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही भोपाल को 5वां, जबलपुर को 13वां और ग्वालियर को 41 वां स्थान प्राप्त हुआ है। 3 लाख से 10 लाख तक की जनसंख्या वाले शहरों में सागर को देश में 10 वां और 3 लाख से कम आबादी वाले शहरों में देवास को छटवां स्थान प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय पयार्वरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव द्वारा कुशाभाऊ ठाकरे इन्टरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस 2023 के राष्ट्रीय कार्यक्रम में यह पुरस्कार प्रदान किए गए। यह पहला अवसर है जब अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस के राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली से बाहर किसी अन्य राज्य में हुआ है।
राष्ट्रीय कार्यक्रम में 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की श्रेणी में आगरा को एक करोड़ रूपए का द्वितीय और ठाणे (महाराष्ट्र) को 50 लाख रूपए का तृतीय और तीन से दस लाख आबादी की श्रेणी में अमरावती को 75 लाख रुप्ए का प्रथम, मुरादाबाद को 50 लाख रुपए का द्वितीय, गुंटूर को 25 लाख रुपए का तृतीय तथा तीन लाख से कम आबादी की श्रेणी में हिमाचल प्रदेश के परवानू को 37.50 लाख का प्रथम और काला अंब को 25 लाख रुपए का द्वितीय तथा उड़ीसा के अंगुल को 12.50 लाख रुपए का तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में शहरों द्वारा वायु प्रदूषण कम करने के श्रेष्ठतम प्रयासों पर केंद्रित पुस्तक “सार संग्रह” का विमोचन हुआ और स्वच्छ वायु कार्यक्रम की सफलता की कहानियों तथा मिशन लाइफ पर आधारित लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया। मुख्यमंत्री चौहान तथा केंद्रीय मंत्री यादव ने दीप प्रज्जवलित कर राष्ट्रीय कार्यक्रम का शुभारंभ किया तथा मिशन लाइफ, गौ-काष्ठ, अपशिष्ट प्रबंधन, कार्बन कैप्चर, प्रदूषण नियंत्रण के उपाय, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन, क्लीन एयर प्रोजेक्ट, सेल्फी कियोस्क, सीमेंट उद्योग में प्रदूषण नियंत्रण, आदि पर केंद्रित प्रदर्शनी का फीता काट कर उदघाटन किया।
मुख्यमंत्री चौहान ने राष्ट्रीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि प्रकृति और पर्यावरण से प्रेम भारत की माटी में है। भारतीय संस्कृति की मान्यता है कि प्रकृति का शोषण नहीं अपितु उसका दोहन किया जाए। हम प्रकृति से उतनी मात्रा में ही संसाधन लें जिसकी भरपाई की जा सके। हमारा मानना है कि एक ही चेतना सभी में विद्यमान है। प्राणियों में सद्भावना और विश्व के कल्याण की मंशा हमारी विचार परम्परा में रची बसी है। वसुधैव कुटुम्बकम का भाव हमारे इसी दृष्टिकोण को दर्शाता है। यह भारतीय चिंतन का मूल्य है और मिशन लाइफ के रूप में प्रधानमंत्री मोदी ने यह मंत्र पूरी दुनिया को दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने मिशन लाइफ के जो मंत्र दिए हैं, उनको हमने साकार रूप से धरती पर नहीं उतारा तो आने वाले समय में यह धरती हमारी अगली पीढ़ियों के रहने लायक नहीं रहेगी। प्रधानमंत्री मोदी की मंशा के अनुरूप पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रदेश में व्यक्तिगत,शासकीय और सामुदायिक स्तर पर कार्य हो रहा है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मैंने ढाई साल पहले प्रतिदिन स्वयं पौधा लागने का संकल्प लिया, मेरे इस प्रयास से लोग जुड़ते गए और अब पौधरोपण प्रदेश में अभियान बन गया है।
मुख्यमंत्री चौहान ने राष्ट्रीय कार्यक्रम में पुरस्कार प्राप्त करने वाले नगरों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि वायु शुद्ध रखने के लिए किए गए कार्य आगामी पीढ़ियों को सुरक्षित रखने का प्रयास हैं। सभी प्रदेश स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करते हुए मानव कल्याण की दिशा में कार्य करते रहेंगे। मध्यप्रदेश के पर्यावरण संरक्षण और वायु की शुद्धता के लिए प्रयास निरंतर जारी रहेंगे क्योंकि यह गतिविधियाँ प्रदेश को गौरवान्वित करने के साथ-साथ मानवता के कल्याण की दिशा में भी योगदान देती हैं। पर्यावरण अनुकूल शैली अपनाना समय की आवश्यकता है। पर्यावरण पर पड़ रहे विपरीत प्रभाव के कारण वर्षा भी असामान्य रूप से होती है। इन संकेतों को हमें समझना होगा और वैश्विक स्तर पर निर्मित हो रही इस स्थिति को सुधारने में अपना अपना योगदान देना होगा।
केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि 15 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने देश के सभी लोगों को स्वच्छ वायु सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। उन्होंने स्वस्थ और उत्पादक जीवन का आश्वासन देते हुए समग्र दृष्टिकोण के माध्यम से 100 से अधिक शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार करने के उद्देश्य और योजना की घोषणा की थी। इसके अनुपालन में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा भारत में शहर और क्षेत्रीय पैमाने पर वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए कार्यों को रेखांकित करते हुए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में एक राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) को लागू किया गया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत 131 शहरों को चिन्हित किया गया है। समन्वय, सहयोग, भागीदारी और सभी हितधारकों के निरंतर प्रयासों से राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद मिल रही है। केंद्रीय मंत्री यादव ने ठोस अपशिष्ट, प्लास्टिक अपशिष्ट, ई-अपशिष्ट, जैव-चिकित्सा अपशिष्ट, बैटरी अपशिष्ट, निर्माण, विध्वंस अपशिष्ट और टायर तथा खतरनाक अपशिष्ट को कवर करने वाले अपशिष्ट प्रबंधन नियमों की अधिसूचना पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग, प्रमुख सचिव गुलशन बामरा सहित भारत सरकार के अधिकारी, विभिन्न नगर निगमों के पदाधिकारी उपस्थित थे।