प्रदेश में मॉब लिचिंग पीड़ित प्रतिकर निधि का गठन भी किया जाएगा, मौत पर 10 लाख का मुआवजा तय
भोपाल : प्रदेश में अब भीड़ जनित हिंसा याने पांच या अधिक व्यक्तियों की की भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को क्षति पहुंचाए जाने के मामलों में पीड़ित व्यक्ति या व्यक्तियों को राज्य सरकार पांच से दस लाख रुपए तक मुआवजा देगी। इसके लिए सरकार ने नये नियम बना दिए है। इसके लिए मॉब लिचिंग पीड़ित प्रतिकर निधि का गठन भी किया जाएगा। इसमें बजट के माध्यम से उपलब्ध कराए जाने वाले पचास लाख रुपए की प्रारंभिक राशि से इस निधि की स्थापना होगी।
प्रदेश में धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, खान-पान, यौन अभिरुचि, राजनीतिक संबद्धता, जातीयता अथवा अन्य किसी आधार पर पांच या अधिक व्यक्तियों की भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को नुकसान पहुंचाया जाता है तो वे इस योजना में प्रतिकर पाने के लिए पात्र होंगे।
इसके लिए गृह विभाग ने मध्यप्रदेश मॉब लिचिंग भीड़ जनित हिंसा प्रतिकर योजना 2023 के प्रावधान लागू कर दिए है। भीड़ जनहिंसा के अपराध पीड़ितों को या उनके आश्रितों, विधिक उत्तराधिकारियों को जिन्हें ऐसे अपराध के परिणामस्वरुप हानि या क्षति हुई हो तथा जिनके पुनर्वास की आवश्यकता हो उन्हें इस योजना के तहत प्रतिकर के प्रयोजन के लिए निधिया उपलब्ध कराने की व्यवस्था इस योजना में की जाएगी। इस योजना में जीवन हानि होंने पर तथा सामूहिक दुष्कर्म के मामले मेें पांच लाख रुपए से दस लाख रुपए की राशि दी जाएगी।
दुष्कर्म के मामले में चार लाख से सात लाख, अप्राकृतिक लैंगिक हमले में चार लाख से सात लाख रुपए, शरीर के किसी अंग या भाग की हानि जिसमें पचास प्रतिशत से अधिक स्थाई नि:शक्तता हो उसमें दो लाख से चार लाख , चालीस प्रतिशत से अधिक अस्सी प्रतिशत तक नि:शक्तता के मामले में दो से चार लाख, बीस प्रतिशत से चालीस प्रतिशत नि:शक्तता के मामले में एक से तीन लाख, बीस प्रतिशत से कम स्थाई निशक्तता के मामले में एक लाख से दो लाख रुपए मुआवजा दिया जाएगा।
योजना की मॉनिटरिंग के लिए राज्य और जिला स्तरीय समितियां गठित होंगी। राज्य स्तरीय समिति में अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह अध्यक्ष होंगे। विधि, स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव संचालक लोक अभियोजन, पुलिस महानिदेशक द्वारा नामांकित अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्रेणी का अधिकारी, उप सचिव गृह इसके सदस्य होंगे। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव इसके सदस्य सचिव होंगे।
जिले में इन मामलों की सुनवाई के लिए जिला स्तरीय समिति बनेगी। इसमें जिले के जिला और सत्र न्याधीश अध्यक्ष होंगे। कलेक्टर, एसपी, सीएमएचओ और उप संचालक जिला अभियोजन अधिकारी सदस्य होंगे तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव सदस्य सचिव होंगे।