फिल्मी है सचिन-सारा की लव स्टोरी
एजेन्सी/कहते हैं कि अगर दो प्यार करने वाले एक साथ हैं तो संसार की कोई ताकत उन्हें एक-दूसरे से जुदा नहीं कर सकती। अगर प्यार सच्चा है तो कितनी भी बाधाएं आएं सच्चे प्रेमी इन सबके बीच भी अपना रास्ता बना ही लेते हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण हैं दो अलग-अलग सियासी परिवारों से आने वाले सचिन पायलट और सारा अब्दुल्ला।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सचिन पायलट और उनकी पत्नी सारा के बीच जब प्यार हुआ तो दोनों के परिवारवालों को उनका रिश्ता पसंद नहीं आया। लेकिन दोनों प्यार करने वालों ने हौंसला नहीं छोड़ा और आखिरकार एक-दूसरे के हो गए।
सचिन और सारा की लव स्टोरी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। दोनों ही बड़े सियासी परिवारों से थे। उनका प्यार दो दिलों का नहीं बल्कि दो धर्मों का मिलन था। दरअसल, सचिन हिंदू परिवार से थे वहीं सारा मुस्लिम परिवार से थी। लेकिन उनके प्यार में इसका कोई असर नजर नहीं आया।
सचिन और सारा के प्यार की शुरूआत विदेश में हुई। दोनों की पहली मुलाकात लंदन में उस समय हुई जब सचिन वहां एमबीए की पढ़ाई कर रहे थे। सारा पहले से ही अपनी मां के साथ लंदन में रह रही थी। पहली मुलाकात के साथ ही उनके बीच दोस्ती हो गई।
दोस्ती के दौरान उनकी मुलाकातों का सिलसिला बढ़ने लगा। रोजाना की मुलाकातों ने असर दिखाया और जाने कब उनके बीच का रिश्ता दोस्ती से बढ़कर प्यार तक पहुंच गया। पहले दोस्ती फिर प्यार के बाद शादी तक का ये रिश्ता देखने में जितना आसां दिख रहा है उतना था नहीं।
समस्या तब खड़ी हुई जब सारा ने सचिन को लंदन में ही अपनी मां से मिलवाया। इतना ही उन्होंने अपनी मां के सामने अपने और सचिन के बीच प्यार के रिश्ते को भी कबूल किया। हालांकि इसके बाद जैसे उनके प्यार को किसी कि नजर लग गई। चाहकर भी वह ज्यादा समय एक-दूसरे साथ नहीं रह सके।
कुछ महीने के भीतर ही सचिन का एमबीए का कोर्स खत्म हो गया और उन्हें भारत लौटना पड़ गया। दूसरी ओर सारा लंदन में ही रही।
लेकिन कहते हैं ना कि प्यार की असली परीक्षा जुदाई में होती है। बस फिर क्या था जैसे ही सचिन और सारा एक दूसरे से जुदा हुए उन्हें उनके प्यार की गहराई का अहसास हुआ। कुल मिलाकर कहा जाए तो दो दिलों की जुदाई ने जैसे उनके रिश्ते को और करीब ला दिया।
सचिन को सारा की जुदाई बर्दाश्त नहीं हो रही थी। सचिन को पता था कि अगर उन्होंने अपने प्यार के बारे में किसी को बताया तो उनके प्यार के बीच उनका परिवार आ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सचिन राजस्थान के गुर्जर परिवार से थे वहीं अगर सारा की बात करें तो वह रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार से थी।
बावजूद इसके सचिन ने अपने दिल का हाल अपनी मां को बताया। लेकिन सारा के बारे में सुनते ही सचिन की मां ने उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
सचिन के परिवार ने भी इसे नामंजूर कर दिया। हालांकि सचिन अपने प्यार को पाने की जद्दोजहद में लगे रहे और आखिरकार उन्हें कामयाबी मिल ही गई। उन्होंने अपने परिवार को शादी के लिए मना लिया।
दूसरी ओर सारा के मामले में ये चुनौती काफी कठिन थी। सारा के पिता फारूख अब्दुल्ला ने उनके रिश्ते को सिरे से खारिज कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने सारा से साफ शब्दों में इस विषय पर बात करने से मना कर दिया। इसके बावजूद सारा ने हिम्मत नहीं हारी उन्हें विश्वास था कि वह पिता को इस रिश्ते के लिए मना लेंगी।
वैसे भी सारा अपने पिता के काफी करीब थी। सारा के पिता ने हमेशा उन्हें उनके मन का करने दिया। लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग था। सारा भी कहां मानने वाली थी। हो भी क्यों नहीं मामला दिल का जो था। सारा लगातार अपने पिता से अपने प्यार की मांग करती रही। बदले में उन्हें केवल आंसू और दुख ही मिला।
उनके पिता इस बार मानने को जैसे तैयार ही नहीं थे। ऐसा नहीं है कि वह अपनी बेटी से प्यार नहीं करते लेकिन उनके हाथ बंधे हुए थे। सारा के पिता फारूख अब्दुल्ला के मुताबिक सचिन उनके बेटी के लिए योग्य वर नहीं थे।
इस बीच सारा और सचिन के प्यार की चर्चा लोगों के बीच होने लगी। कश्मीर घाटी में इसका खासा विरोध देखने को मिला। फारूख अब्दुल्ला की पार्टी के ही नेताओं ने इस मुद्दे पर विरोध का झंडा बुलंद कर दिया। विवाद वजह धार्मिक भिन्नता ही बना।
इस सबके बीच सचिन-सारा के सामने दो रास्ते थे पहला ये कि वह अपने परिवारवालों की रजामंदी का इंतजार करें फिर शादी करें या फिर दूसरा रास्ता था कि वह परिवार और समाज को पीछे छोड़कर दिल की सुनें और शादी के बंधन में बंध जाएं।
बदले हुए माहौल के बीच उन्हें दूसरा रास्ता ज्यादा अच्छा लगा। दोनों लव-बर्ड्स ने जनवरी 2004 में शादी कर ली। बेहद सादे समारोह में सचिन-सारा एक-दूसरे के हो गए। सारा के पिता फारूख अब्दुल्ला ने इस शादी का विरोध किया। अब्दुल्ला परिवार से कोई भी इस शादी में शरीक नहीं हुआ। लेकिन सारा को विश्वास था कि जल्द ही सब ठीक हो जाएगा।
दूसरी ओर शादी के बाद सारा को ससुराल में कोई खास परेशानी नहीं हुई। सचिन के परिवार ने सारा को अपना लिया था। उन्होंने सारा के अकेलेपन को दूर करने की हरसंभव कोशिश की।
आखिरकार सारा भी अपने परिवार की जुदाई को भूल गई और ससुराल में ही बेहद खुशी से रहने लगी। हालांकि सारा ने अभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी थी। उन्हें विश्वास था कि एक न एक दिन उनका परिवार भी इस शादी को रजामंदी दे देगा।
अंततः ऐसा ही हुआ। समय के साथ अब्दुल्ला परिवार ने सचिन-सारा के रिश्ते को अपना लिया। इस बीच सचिन और सारा के दो बेटे हुए। एक नाम आरन है और दूसरे का वेहान।
सचिन पायलट, कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय राजेश पायलट के बेटे हैं। वह खुद कांग्रेस के बड़े नेता हैं और यूपीए-2 सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे।
वह देश के सबसे कम उम्र के सांसद होने का गौरव हासिल कर चुके हैं। वर्तमान में वह राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं।
सचिन का जन्म उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुआ था। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सेंट स्टीफेंस कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
इसके बाद एमबीए के लिए पेन्सिलवानिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल ऑफ बिजनेस में एडमिशन लिया।
दूसरी ओर सारा की बात करें तो वह नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला की बेटी और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की बहन हैं। सारा के दादा शेख अब्दुल्ला भी जाने-माने राजनेता थे। वह राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस पार्टी के संस्थापक सदस्य थे।
सारा अपने शुरूआती दिनों में 1990 तक कश्मीर में रही। इसके बाद घाटी में लगातार बिगड़ रहे हालातों के मद्देनजर फारूख अब्दुल्ला ने सारा को उनकी मां के साथ लंदन भेज दिया।
लंदन में ही सारा की सचिन से पहली मुलाकात हुई। सचिन के पिता और सारा के पिता राजनीति में होने के नाते बेहद करीबी दोस्त थे, दोनों परिवार एक-दूसरे को अच्छे से जानते थे, बावजूद इसके सचिन और सारा की कोई मुलाकात नहीं हुई थी।