उत्तर प्रदेश

CM योगी ने उठाया ये बड़ा कदम, ‘अटल जयंती” पर यूपी को मिलेगा ये तोहफा?

लखनऊ : देश में नई संसद में कार्यवाही का प्रारम्भ हो गया है। पीएम मोदी ने देश को नए संसद भवन का तोहफा दिया है जिसकी काफी सराहना की जा रही है। अब पीएम मोदी की तर्ज पर ही सीएम योगी भी यूपी में पुरानी विधानसभा की जगह नई विधानसभा बनाएंगे। सरकार के भीतर अंदरखाने इसको लेकर कवायद शुरू हो गई है। सूत्रों की माने तो सीएम की मंशा है कि 2027 से पहले नई विधानसभा बनकर तैयार हो जाए।

सरकार के सूत्रों की माने तो योगी सरकार ने नई संसद बनने के बाद अब यूपी में नई विधानसभा को लेकर अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं। बताया जा रहा है कि 25 दिसंबर को पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजेपयी के जन्मदिन के मौके पर इसी नींव रख सकते हैं। इसके पीछे की यह बताई जा रही है कि चूंकि अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ से सांसद रहे थे और उनका यहां से काफी पुराना नाता रहा है।

शासन में बैठे कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की माने तो सरकार नई विधानसभा को लेकर आगे बढ़ रही है। इसको लेकर पिछले एक साल से कवायद चल रही थी ओर नई विधानसभा के लिए जमीन तलाशी जा रही थी। लेकिन अब इसका काम पूरा कर लिया गया है और जल्द ही नई विधानसभा के शिलान्यास कार्यक्रम की घोषणा सरकार की ओर से की जा सकती है।

इसके लिए सरकार ने जमीन तलाश लिया है। लखनऊ में सुल्तानपुर रोड के पास इसके लिए पहले जमीन देखी गई थी। हालांकि यह जगह शहर से थोड़ा बाहर है लेकिन यहां सरकार को पर्याप्त जगह मिल रही है। वहीं दूसरे आप्शन के तौर पर पुरानी विधानसभा से थोड़ी दूर पर बने दारुलसफा को हटाकर वहां नई विधानसभा की नींव रखी जा सकती है। सूत्रों की माने तो नई विधानसभा को लेकर स्वायल टेस्टिंग और सर्वे का काम चल रहा है जो जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है।

दरअसल सरकार पुरानी विधानसभा की तर्ज पर अब नई विधानसभा की कवायद में जुटी है। इसका प्रयास मुख्यमंत्री योगी के पहले कार्यकाल में ही शुरू हो गया था। उसके बाद इसके लिए बजट में 50 करोड़ रुपये की टोकन मनी भी आवंटित की गई है। इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस प्रोजेक्ट को लेकर सरकार कितनी गंभीर है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि नई विधानसभा बनाने में लगभग 3 हजार करोड़ की लागत आने की संभावना है।

अधिकारियों की यह भी दलील है कि चूंकि परिसीमन की प्रक्रिया भी चल रही है। बताया जा रहा है कि परीसिमन के बाद यूपी विधानसभा और विधानपरिषद की सीटें काफी बढ़ जाएंगी। इस स्थिति में पुरानी विधानसभा में सदन चलाना संभव नहीं है जिसको देखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है। ऐसी अटकलें हैं कि परिसीमन के बाद यूपी में विधानसभा सीटों की संख्या करीब 800 के पास चली जाएगी जबकि विधान परिषद की सीटों में भी इजाफा हो जाएगा। ऐसी स्थिति में पुरानी विधानसभा में कार्यवाही चलाना संभव नहीं होगा।

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