AIIMS की स्टडी में बड़ा खुलासा : दूसरी लहर में कोरोना के कारण हुई थीं 12 गुना ज्यादा मौतें
नईदिल्ली: कोरोना खत्म हो चुका है, लेकिन दूसरी लहर में डेल्टा वैरिएंट के संक्रमण के दौरान कोरोना के भयावहता को याद करके लोग अब भी कांप उठते हैं, जब अस्पतालों में मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहे थे।
अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी हो गई थी। लोग अस्पताल में इमरजेंसी के बाहर दम तोड़ रहे थे। चिकित्सा जगत में पहली और दूसरी लहर में कोरोना का कहर अब भी अध्ययन का विषय बना हुआ है।
इस बीच एम्स के डॉक्टरों द्वारा किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कोरोना की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में कोरोना के कारण करीब 12 गुना अधिक मरीजों की मौतें हुई थीं।
राष्ट्रीय कैंसर संस्थान को बनाया गया था Covid अस्पताल
एम्स के डॉक्टरों का यह अध्ययन हाल ही में क्यूरियस जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है। कोरोना के दौरान एम्स ने राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआइ) को कोविड अस्पताल बनाया था।
पहली लहर में मार्च 2020-दिसंबर 2020 के बीच इस अस्पताल में कोरोना के 6,333 और अप्रैल 2021- जून 2021 के बीच इस अस्पताल में 2,080 मरीज भर्ती हुए थे।
इन पर तुलनात्मक अध्ययन में पाया गया कि पहली लहर के दौरान अस्पताल में भर्ती कुल 2.4 प्रतिशत मरीजों की मौत हुई। जबकि दूसरी लहर में 20.3 प्रतिशत मरीजों की मौत हुई थी।
पहली लहर में कोरोना करीब डेढ़ प्रतिशत मरीजों की मौत का कारण बना था। जबकि दूसरी लहर में यह 17.7 प्रतिशत मरीजों की मौत का कारण बना।
अध्ययन में शामिल एक डॉक्टर ने बताया कि पहली लहर में 90.4 प्रतिशत मृतकों को कोरोना के अलावा कोई दूसरी गंभीर पुरानी बीमारी भी थी। जो लोग पहले से स्वस्थ थे उनको कोरोना से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था। लेकिन दूसरी लहर में 61.1 प्रतिशत मृतकों को ही को-मार्बिडिटी (कोई पुरानी बीमारी) थी।
पहली लहर में कम मरीजों को पड़ी ऑक्सीजन की जरूरत
लिहाजा काफी ऐसे मरीजों ने जान गंवाई जिन्हें पहले से कोई बीमारी नहीं थी। कोरोना के कारण फेफड़े में संक्रमण और सांस की परेशानी के कारण मौत के शिकार हुए।
पहली लहर में सिर्फ 9.6 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी। दूसरी लहर में 42.8 प्रतिशत मरीजों को आक्सीजन की जरूरत पड़ी। इस तरह दूसरी लहर में पहली लहर की तुलना में करीब साढ़े चार गुना अधिक मरीजों को आक्सीजन की जरूरत पड़ी थी।