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केरल के राज्यपाल व प्रमुख लोगों ने विजयादशमी पर हजारों बच्चों को अक्षरों की दुनिया में कराया प्रवेश

तिरुवनंतपुरम: केरल में विजयादशमी एक धर्मनिरपेक्ष कार्यक्रम बन गया है। मंगलवार को सभी धर्मों के हजारों नन्हे-मुन्ने बच्चों ने, जिनमें ज्यादातर हिंदू थे, सरस्वती मंदिरों, सांस्कृतिक संगठनों, क्लबों, स्कूलों व मीडिया प्रतिष्ठानमें आयोजित समारोहों में अक्षरों की दुनिया में प्रवेश किया।

इस बार केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के आधिकारिक आवास पर काफी हलचल रही, जिन्होंने 61 बच्चों को विभिन्न भाषाओं में उनके पहले अक्षर लिखने में मदद की।पिछले कुछ वर्षों में विजयादशमी पर होने वाले इस आयोजन में ईसाई चर्चों के साथ-साथ कई बार मस्जिदों में भी होने वाले दीक्षा कार्यक्रम में भारी बदलाव आया है।

इस दिन प्रख्यात साहित्यकार, शिक्षक और हाल ही में राजनेता भी छोटे-छोटे बच्चों का हाथ पकड़ते हैं और उन्हें चावल की थाली पर मलयालम अक्षर लिखने में मदद करते हैं।मंगलवार को, शिक्षकों की भूमिका निभाने वालों में फिल्म निर्माता अदूर गोपालकृष्णन, कुलपति, वरिष्ठ मंदिर पुजारी शामिल थे। सोने की अंगूठी का उपयोग करके ‘शिक्षक’ बच्चे की जीभ पर एक मलयालम शब्द लिखता है। जहां हिंदू बच्चे ‘हरि श्री गणपतये नमः’ लिखते हैं, वहीं ईसाई बच्चे ‘श्री येसु मिशिहाये नमः’ लिखते हैं।

सबसे अधिक भीड़ त्रिशूर के पास थुनाचन परमाबू में होने की उम्मीद है, जिसे मलयालम साहित्य थुंचथु एज़ुथाचन का घर माना जाता है, जहां 5,000 से अधिक बच्चे दूर-दूर से आकर इकट्ठा होते हैं और धैर्यपूर्वक अपनी बारी का इंतजार करते हैं।

कोट्टायम जिले में पंचिकाडु मंदिर एक और जगह है जहां अधिकतम बच्चे अपने माता-पिता के साथ आते हैं।

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