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18 शहर, 40 लाख लोगों की जान को खतरा; इटली में फिर होगा ज्वालामुखी विस्फोट

इटली: इटली का एक खूबसूरत शहर तबाही की कगार पर है. लाखों लोगों के जमीनी तबाही की जद में आने की आशंका है. ज्वालामुखी उबल रहा है. इस समय इटली में सबसे खतरनाक ज्वालामुखीय खतरा वह है जिसके बारे में आपने शायद कभी नहीं सुना होगा – कैम्पी फ्लेग्रेई, या फ्लेग्रेयन फील्ड्स. यह कमोबेश 200 किलोमीटर का क्षेत्र है. 20 लाख साल पहले एक सुपर वोल्केनो यानी ज्वालामुखी विस्फोट से यह अस्तित्व में आया था, जहां 500 साल पहले भयंकर तबाही मची.

ज्वलामुखियों का हब 39,000 साल से सक्रिय है, जिनमें कई पानी के नीचे एक्टिव या इनेक्टिव हैं. पूरा इलाका छोटे-छोटे गांव, शॉपिंग मॉल्स और ऊंची इमारतों से भरा हुआ है. इलाके की आबादी आठ लाख है और यहां बच्चों के स्कूल और मरीजों के लिए कई अस्पताल भी हैं. मसला ये है कि अगर ज्वालामुखी विस्फोट हुआ तो एक झटके में बड़े जानमाल का नुकसान हो सकता है. पांच लाख से ज्यादा स्थानीय लोग ज्वालामुखी वाले क्षेत्रों में रहते हैं, जिसे इटली की सुरक्षा एजेंसियां ‘रेड जोन’ मानती हैं.

200 किलोमीटर के दायरे में 18 शहर हैं, जहां ज्वालामुखी विस्फोट की वजह से बड़े नुकसान की आशंका है. इटली के इस संवेदनशील इलाके में 30 लाख लोग नेपल्स शहर के आसपास रहते हैं, जो संभावित खतरे से अछूते नहीं हैं. कैम्पी फ़्लेग्रेई का आखिरी बार बड़ा विस्फोट 1538 में हुआ था, जिसके बाद यहां एक नया पहाड़ बन गया. सीएनएन की एक रिपोर्ट में इटली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जियोफिजिक्स एंड ज्वालामुखी के हवाले से बताया गया है कि, क्षेत्र में 2022 के बाद से भूकंप की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं.

आमतौर पर भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5 या उससे कम रही है. अगर भूकंप के तेज झटके आते हैं तो इससे ज्वालामुखी विस्फोट होने का खतरा और ज्यादा बढ़ जाएगा. 2016 में क्षेत्रीय शासन ने येलो वार्निंग जारी किया था. बाद में इसे रेड जोन घोषित कर दिया गया. हाल के कुछ वर्षों में क्षेत्र की गतिविधियों में कई बदलाव देखे गए हैं, जिसके बाद स्थानीय प्रशासन ने अलर्ट लेवल ऑरेंज कर दिया था.

भूकंप के लगातार झटके की वजह से यह इलाका और भी ज्यादा संवेदनशील होता जा रहा है, जिससे आने वाले समय में शहर की आबादी को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने की जरूरत पड़ेगी. इसी महीने 7 नवंबर को सुरक्षा एजेंसियों ने सरकार को एक ब्लूप्रिंट दिया है. इससे पता चला कि संवेदनशील क्षेत्रों के 125 स्कूलों और अन्य शिक्षण संस्थानों सहित 15000 इमारतों पर अधिक खतरा है. इसी महीने 27 नवंबर तक क्षेत्र को खाली कराने के लिए निर्देश जारी किया जाने की उम्मीद है.

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