उत्तराखंड

…तो आमने-सामने होंगे धुर-विरोधी हरक-त्रिवेंद्र! होगा महामुकाबला

देहरादून (गौरव ममगाई): वैसे तो पूर्व सीएम एवं वरिष्ठ भाजपा नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत और कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉ. हरक सिंह रावत को एक-दूसरे का धुर-विरोधी माना जाता है। त्रिवेंद्र सरकार में मंत्री रहे डॉ. हरक सिंह रावत के भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आने की बड़ी वजह भी पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह ही रहे। दोनों नेताओं के बीच समय-समय पर जुबानी जंग भी किसी से छिपी नहीं है। अब संभावना बन रही है कि आगामी लोकसभा चुनाव-2024 के महासमर में उत्तराखंड के ये दोनों दिग्गज आमने-सामने नजर आ सकते हैं और यह सीट होगी पौड़ी। जी हां, हम आपको बतायेंगे सारे समीकरण, जो त्रिवेंद्र व हरक सिंह को पौड़ी से एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव में उतरने की प्रबल संभावनाएं पैदा कर रही हैं।

हरक की पहली पसंद हरिद्वार, पर हरीश रावत ने ठोकी है दावेदारी:
दरअसल, डॉ. हरक सिंह रावत कई बार मीडिया में कह चुके हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में वह हरिद्वार सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने कई बार हरिद्वार कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ बैठकें भी की थी, लेकिन इस सीट से हरीश रावत ने भी बड़ी दावेदारी ठोकी है। हरीश रावत चाहते हैं कि वह हरिद्वार से जीत के साथ राजनीति से संन्यास लें। यही मुख्य वजह है कि हरक सिंह को यह सीट छोड़नी पड़ सकती है।

वैसे हरक सिंह की दूसरी पसंद पौड़ी सीट है, इसके संकेत उन्होंने कोटद्वार में पिछले महीने हुए राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान भी दिये थे। वह कांग्रेस जिला कार्यालय में पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं से मिले थे। बताना जरूरी है कि हरक सिंह 2017 में पौड़ी के कोटद्वार से विधायक बने थे। इसके पहले वह लैंसडोन व रुद्रप्रयाग से विधायक बने थे। ये दोनों विधानसभा क्षेत्र भी पौड़ी लोकसभा क्षेत्र में ही आते हैं। सूत्र बताते हैं कि हरक सिंह भी पौड़ी सीट को अपने लिए अनुकूल मानते हैं और उन्होंने पौड़ी सीट के रूप में अपने लिए दूसरा विकल्प भी खुला रखा है।

त्रिवेंद्र ने भी पौड़ी में बढ़ाई सक्रियता, दिये सियासी संकेतः:
बीते दिनों पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पौड़ी में भ्रमण कार्यक्रम किया था। इस दौरान वह प्रसिध्द कथावचक शिव प्रसाद ममगाईं की कथा में भी पहुंचे। इस तरह लोगों के बीच पहुंचना उनकी लोगों के बीच सक्रियता बढ़ाने का साफ संकेत है। वहीं, त्रिवेंद्र सिंह सीएम पद से हटाये जाने के बाद से ही राजनीति में लगातार सक्रिय भी रहे हैं। सीएम के बाद अब त्रिवेंद्र चाहेंगे कि वह सांसद बनकर केंद्रीय राजनीति में शामिल हों। उनके पास यही अंतिम विकल्प भी है। जबकि, तीरथ सिंह रावत को सीएम पद से हटने के बाद सक्रिय नहीं देखा गया है। तीरथ सिंह रावत वर्तमान में पौड़ी से सांसद भी हैं। इसलिए यह भी माना जा रहा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत पौड़ी से टिकट की दावेदारी करते हैं तो यह तीरथ सिंह के लिए काफी समस्या पैदा करेगा।

इन राजनीतिक समीकरणों को समझने के बाद कहा जा सकता है कि आगामी लोकसभा चुनाव में पौड़ी से हरक सिंह व त्रिवेंद्र सिंह के लड़ने की काफी संभावनाएं बन रही हैं। अगर ऐसा सच में होता है तो यह मुकाबला बेहद दिलचस्प होगा। क्योंकि, अभी तक जुबानी जंग में एक-दूसरे को मात देने की कोशिश में लगे इन दिग्गजों का असली मुकाबला तो चुनावी अखाड़े में ही माना जाएगा। वहीं पता चलेगा कि जनता की नजर में कौन बड़ा जननेता है?

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