देहरादून (गौरव ममगाईं)।
सिखों के पहले गुरु श्री गुरु नानक देव जी ने दुनिया को प्रेम एवं सेवाभाव का खास संदेश दिया। गुरु नानक देव जी का उत्तराखंड से भी विशेष रिश्ता रहा है। गुरु नानक देव ने उत्तराखंड के ऊधमसिंहनगर में कई दिन बिताए थे। इस दौरान गुरु नानक देव ने कई चमत्कार भी दिखाये थे। इस स्थान को आज नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा के नाम से जानते हैं। चलिये आपको बताते हैं कि गुरु नानक देव जी के यहां से जुड़े महत्वपूर्ण वाक्ये…
श्री गुरु नानक देव जी अपने शिष्य मरदाना और बाला के साथ भ्रमण पर निकले थे, इसी दौरान वह अपने शिष्यों के साथ ऊधमसिंहनगर पर रूके थे। कई सिख अनुयायी बताते हैं कि यहां एक कुंआ है, जिसे दूध वाला कुंआ के नाम से जाना जाता है। इसके पीछे विशेष मान्यता है।
कुंए में भर दिया था दूध
कहा जाता है कि जब मरदाना साहिब जी को भूख लगी तो कई सिध्द योगियों ने उन्हें दूध देने से मना कर दिया था, इसके बाद गुरु नानक देव जी ने दिव्य शक्ति का प्रयोग करते हुए इस कुंए को दूध से भर दिया था।
चरण स्पर्श से ही सूखा पेड़ हो गया था हरा-भरा
दूसरी यह भी मान्यता है कि जब गुरु नानक देव जी यहां पहुंचे तो वह पीपल के पेड़ के नीचे बैठे। पहले पीपल का पेड़ सूखा था, लेकिन गुरु नानक जी के चरण स्पर्श होने के बाद पेड़ हरा-भरा हो गया। यह चमत्कार देखकर कई सिध्द योगी ईर्ष्या करने लगे और उन्होंने अपनी सिध्द शक्तियों से पेड़ को उड़ाने की कोशिश की, लेकिन गुरु नानक देव जी ने अपनी दिव्य शक्तियों से पेड़ को अपने पंजे से रोक दिया था। ये दिव्य शक्तियां देखने के बाद अंततः योगियों को अहसास हुआ कि गुरु नानक देव साधारण पुरूष नहीं हैं।
आज इस पवित्र स्थान को नानकमत्ता साहिब कहकर पुकारा जाता है, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इसका प्राचीन नान ‘बख्शी’ था। इसी स्थान पर सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह भी रूके थे। इस गुरुद्वारे पर हर साल दीपावली के दिन मेला लगता है।