‘इंडिया’ बोला-‘कमजोर विपक्ष’ था झूठ, अब फिर ‘नरेटिव’ हुआ मजबूत
देहरादून (गौरव ममगाईं)। इंडिया गठबंधन के अस्तित्व में आने के बाद समूचे विपक्ष को ऐसा लगा मानों विपक्षी एकजुटता के बाद अब उसे कमजोर विपक्ष नहीं पुकारा जायेगा। इसके बाद हिमाचल व कर्नाटक में कांग्रेस को जीत मिली तो कांग्रेस समेत पूरा इंडिया गठबंधन 2024 में जीत के सपने भी देखने लगा था। मगर, किसको पता था 2023 के विधानसभा चुनाव के नतीजे एकपल में सारे सपने चकनाचूर कर देंगे। चार राज्यों में से 3 राज्यों में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा को बड़ी जीत मिलने के बाद इंडिया गठबंधन की चिंताएं एक बार फिर बढ़ गई हैं।
दरअसल, 3 दिसंबर को आये मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ व तेलंगाना के विधानसभा चुनाव नतीजों में भाजपा ने एमपी, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में जीत दर्ज की। जबकि, कांग्रेस को महज तेलंगाना में ही जीत मिली। कांग्रेस व विपक्ष के लिए चिंता की बात यह है कि भाजपा राजस्थान व छत्तीसगढ़ के रूप में दो राज्यों में भाजपा, कांग्रेस को हटाकर सत्ता पर काबिज हुई है। इससे जहां कांग्रेस व विपक्षी दल शासित राज्यों के ग्राफ में बड़ी गिरावट आई है, वहीं भाजपा का ग्राफ तेजी से बढ़ गया है। कांग्रेस को इस हार की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी।
इन चुनाव नतीजों ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मैजिक को बरकरार रखा है। यह भी साफ है कि आगामी लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को रोकना विपक्षी गठबंधन के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं रहने वाला है। वहीं, इन चुनावी नतीजों के बाद सोशल मीडिया में एक बार फिर भाजपा समर्थित यूजर्स को ‘कमजोर विपक्ष’ का नरेटिव गढ़ने का मौका मिल गया। कमजोर विपक्ष लेकर कई तरह के मीम भी चलाये गये।
कांग्रेस की रणनीति पर फिरा पानी, अब 6 दिसंबर को बुलाई
विधानसभा चुनाव के दौरान इंडिया गठबंधन के मुख्य सहयोग बिहार के सीएम नीतीश कुमार कई बार कह चुके थे कि इंडिया की बैठक को जल्द बुलाना चाहिए, ताकि सीट शेयरिंग पर बात हो सके और तैयारियां शुरू हों। लेकिन, अपने पक्ष में चुनावी नतीजे आने की उम्मीद कर रही कांग्रेस इंडिया की बैठक को टालती रही। उसकी रणनीति थी कि जब नतीजे उसके पक्ष में आयेंगे तो वह सीट शेयरिंग में अपना दबाव बनाने की स्थिति में रहेगी, लेकिन नतीजे बिल्कुल उलट आये, जिस कारण चुनाव नतीजे के दिन ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बिना देर किये छह दिसंबर को बैठक बुलाई है।
जाहिर है कि नरेंद्र मोदी के चेहरे के दम पर एक तरफ भाजपा मध्य प्रदेश में एंटी इन्कम्बेंसी के चलते भी अपनी सरकार बरकरार रखने में कामयाब रही। वहीं, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें रहीं, जो एक के बाद एक बड़ी योजनाओं की सौगात देते रहीं। इसके बावजूद यहां भी कांग्रेस को सत्ता से हटाने में सफलता मिली। इससे जाहिर है कि पीएम मोदी की लोकप्रियता के सामने विपक्ष का टिकना इतना आसान नहीं रहने वाला है। चार राज्यों के चुनाव नतीजों ने तो कुछ यही संकेत दिये हैं।