देहरादून (गौरव ममगाईं)। तीन राज्यों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस में अब राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ने वाली है। गहलोत व कमलनाथ के साथ केंद्र में मंत्री रहे उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी अब बोझ बन रहे नेताओं की भूमिका को सीमित करने की आवाज उठाई है। खुद उत्तराखंड कांग्रेस पर कब्जा करने का आरोप झेल रहे हरीश रावत तो यहां तक कह गये कि अगर हाईकमान को लगता हो कि अब उनकी जरूरत नहीं है तो वह भी किनारे होने को तैयार हैं।
कांग्रेस में आने वाले दिनों में घमासान तेज होने के आसार हैं। कांग्रेस के भीतर बुजुर्ग नेताओं की भूमिका को सीमित करते हुए युवा पीढ़ी को आगे लाने की मांग जोर पकड़ रही है। एक दैनिक समाचार-पत्र को दिये इंटरव्यू में उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत के इस बयान ने कांग्रेस की राजनीति में बड़ा भूचाल ला दिया है। हरीश रावत का बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हरीश रावत को भी कांग्रेस नेता 2022 विधानसभा चुनाव में हार के लिए जिम्मेदार ठहराते रहे हैं। बता दें कि 2022 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में हरीश रावत चुनावी कमान अपने हाथों में लेने को अड़े हुए थे। नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस की बुरी हार तो हुई ही, साथ ही हरीश रावत अपनी सीट भी नहीं बचा पाये थे।
अब एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार के बाद हरीश रावत भी मान रहे हैं कि अब पार्टी को युवा पीढ़ी को जल्द आगे लाने की जरूरत है। हरीश रावत ने कहा कि पार्टी को आवश्यकतानुसार बुजुर्ग नेताओं की भूमिका को तय करना चाहिए। जरूरत पड़ने पर उन्हें किनारे करने से भी नहीं हिचकना चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान व छत्तीसगढ़ की सरकारों ने आमजन के हित में कई ऐतिहासिक काम भी किये, लेकिन जनादेश उसके विपरीत मिला। इससे पहले राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने हार के लिए अशोक गहलोत को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने गहलोत पर सर्वे रिपोर्ट को नजरंदाज करने का गंभीर आरोप लगाया।
जाहिर है कि हरीश रावत जैसे वरिष्ठ नेता अब यह खामी स्वीकार करने लगे हैं, लेकिन सवाल उठता है कि कांग्रेस हाईकमान बड़े नेताओं को किनारे लगाने की हिम्मत जुटा पाएगा भी या नहीं ?