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जलवायु परिवर्तन का भारत में दिखा असर, अब ‘अलनीनो’ बढ़ायेगा टेंशन!

नई दिल्ली। मानसून पैटर्न में परिवर्तन के चलते भारत में बाढ़ व सूखे का खतरा मंडरा रहा है। भारतीय मानसून का प्रवेश द्वार माने जाने वाले दक्षिण भारत बाढ़ व सूखे से ज्यादा प्रभावित हैं। इसे जलवायु परिवर्तन का दुष्परिणाम माना जा रहा है। वहीं, वैज्ञानिकों ने चेताया है कि अलनीनो का प्रभाव पड़ने के बाद संकट और गहरा सकता है।

  भारत के कर्नाटक में पिछले 123 वर्षों में सबसे ज्यादा सूखा देखने को मिल रहा है। इसका कृषि पर बुरा असर पड़ रहा है। वहीं, चेन्नई व तमिलनाडु में कई इलाकों में बाढ़ भी देखने को मिली है। आने वाले दिनों में अन्य राज्यों में भी बाढ़ व सूखे का खतरा और बढ़ सकता है। कई वैज्ञानिकों ने पहले ही आगाह कर दिया था कि जलवायु परिवर्तन के कारण भविष्य में कृषि व पेयजल संकट खड़ा हो सकता है। जहां-जहां सूखे हालात पैदा होंगे, वहां जल स्रोत चार्ज भी नहीं हो सकेंगे, जिससे पेयजल व सिंचाई की समस्या खड़ी होगी।

  वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पहले ही मानसून के पैटर्न में बदलाव देखने को मिल रहा था, जिससे अपेक्षित मात्रा से बहुत कम या बहुत ज्यादा वर्षा देखने को मिल रही है। मानसून का देरी या समय से पहले आना-जाना भी बड़ी समस्या पैदा कर रहा है। इसके बाद अब अलनीनो घटना के मजबूत होने पर भारतीय मानसून पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। इससे भारत में मानसून कमजोर रहने की संभावना है और वर्षा में बड़ी कमी देखी जा सकती है। इससे सूखे के बुरे हालात पैदा हो सकते हैं, गर्मी भी बढ़ेगी। इसका असर अगले साल देखने को मिलेगा।

अलनीनो क्या है ?

  जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी के अनेक अक्षांशों में तापमान स्थानांतरण देखा जाता है. तापमान स्थानांतरित होने के कारण क्षेत्र विशेष में ठंडी जलधारा के स्थान पर गर्म जलधाराएं उत्पन्न हो जाती हैं। इससे सामान्य मानसूनी हवाओं की दिशा में परिवर्तन आता है  और कई क्षेत्रों में सूखा व कहीं बाढ़ के हालात पैदा होते हैं। इस घटना को अलनीनो के नाम से जानते हैं।

elnino effects on india

 अलनीनो घटना पूर्वी-मध्य प्रशांत महासागर के पेरू तट पर देखने को मिलती है। यहां ठंडी जलधारा अचानक गर्म जलधारा में परिवर्तित हो जाती है। इसी अलनीनो के कारण भारत में दक्षिणी बिंदु से प्रवेश करने वाली मानसूनी हवाएं अपनी दिशा बदल देती हैं और पूर्वी-मध्य प्रशांत महासागर के पेरू तट की ओर मुड़ जाती है। इससेभारत में सूखे जैसे हालत पैदा होते हैं, वहीं अमेरिका, ब्रिटेन व कई अन्य पश्चिमी देशों में मानसून बहुत मजबूत रहता है, जिससे बाढ़ के हालात बनते हैं।

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