जालंधर : बिजली के स्मार्ट स्विच बनाने वाली दो कंपनियों के मालिक को ई.डी. में शिकायत का भय दिखाकर 11.50 लाख रुपए ठगने का मामला सामने आया है। विजिलेंस ने इस मामले में ई.डी. के कर्मचारी, विदेशी कंपनी के मालिक, पीड़ित के पार्टनर समेत 6 लोगों को नामजद किया है। फिलहाल किसी की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हो पाई है जबकि ई.डी. कर्मचारी केस दर्ज होने के बाद मेडिकल लीव पर चला गया है।
माडल हाऊस निवासी मोनीश सल्होत्रा पुत्र हरिंदर सल्होत्रा ने बताया कि वह खांबड़ा में ई.बी.टी.एल. प्राइवेट लि. और लिगैरो सिस्टम प्राइवेट लि. नाम की कंपनियां चलाती है। ई.बी.टी.एल. प्रा. लि. बिजली के स्मार्ट स्विच बनाती है जबकि लिगैरो स्सिटम प्राइवेट लि. मार्कीटिंग करके स्विच बेचने का काम करती है। ई.बी.टी.एल. में उसकी बहन के 90 प्रतिशत शेयर हैं। लिगैरो कंपनी में उसके खुद के 50 प्रतिशत और राजबीर सिंह पुत्र जसपाल सिंह निवासी ग्रीन माडल टाऊन के साथ 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। उन्हीं की कंपनी में राजबीर सिंह के मामे का बेटा परमवीर सिंह पुत्र अमरजीत सिंह निवासी खटीका मोहल्ला करतारपुर सी.ए. का काम करता है।
मोनिक ने कहा कि उसका पार्टनर एवं डायरैक्टर राजबीर सिंह फरवरी 2020 में यू.एस.ए. की जे.एंड एम. ऑटोमेशन कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट लेकर आया था। कंपनी का मालिक गगनदीप सिंह पुत्र बलबीर सिंह निवासी ग्रीन माडल टाऊन है जो यू.एस.ए. में ही रहता है। 4 फरवरी 2020 में उनकी कंपनी ने जी. एंड एम. ऑटोमेशन कंपनी के साथ एग्रीमैंट किया कि वह कंपनी के लिए स्विच तैयार करेगी जिसके लिए विदेशी कंपनी ने मोनिक की कंपनी को 25 हजार डॉलर अदा करने थे।
एग्रीमेंट के अनुसार 12500 डालर विदेशी कंपनी ने मोनिक की कंपनी के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए। बाकी के पैसे माल पहुंचने पर अदा होने थे। इसी दौरान कोरोना काल के कारण काम बंद हो गए और वह माल विदेश नहीं भेज सके। मोनिक ने बाद में जे. एंड एम. ऑटोमेशन कंपनी की तरफ से एंग्रीमेंट रद्द करने की ईमेल आई लेकिन उन्होंने 19 हजार डॉलर का माल तैयार करवा दिया था।
जे. एंड एम. ऑटोमेशन कंपनी ने अपने पैसे वापस करने शुरू कर दिए लेकिन मोनिक ने माल भेजने का पक्ष रखा। उसके बाद दोनों कंपनियों में कोई बात नहीं हुई। फरवरी 2022 को मोनिक के पार्टनर राजबीर सिंह ने आकर उसे बताया कि जे.एंड एम. ऑटोमेशन कंपनी के मालिक गगनदीप सिंह ने उनकी शिकायत ई.डी. को कर दी है। मोनिक ने राजबीर सिंह की बात को कोई तूल नहीं दिया। फिर राजबीर करने लगा कि उसे ई.डी. के कर्मचारी रविंदर कुमार (सुपरिटैंडैंट दफ्तर प्रिंसीपल ऑफ कमिश्नर चेन्नई ऑफ जी.एस.टी. एंड सैंट्र्ल एक्साइज) निवासी रोहतक का फोन आया था।
इसके बाद मोनिक की पत्नी के मोबाइल पर व्हाट्सएप पर कॉल आया जिस पर बात करने वाले ने रविंदर के साथ बात करने को कहा। मोनिक ने राजबीर सिंह से बात की तो एक मार्च 2022 को हीट सेवन रैस्टोरैंट के बाहर रविंदर कुमार से मिलवाने ले गया। रविंदर ने कहा कि अगर वह मामला सैटल करना चाहते हैं तो किसी सी.ए. से बात करें। मोविक ने राजवीर सिंह के मामा के बेटे परमवीर सिंह से बात की तो उसने साफ मना कर दिया और कहा कि ई.डी. के केस हैंडल करने वाला सी.ए. ही कुछ कर सकता है। फिर उक्त लोगों ने सोची समझी साजिश के चलते मोनिक की मुलाकात अर्शदीप सिंह ग्रोवर पुत्र कमलदीप सिंह ग्रोवर निवासी लुधियाना से करवाई। अर्शदीप ने कहा कि केस सैटल करने के लिए एक लाख रुपए का खर्चा आएगा।
उन्होंने कहा कि केस खत्म करने के लिए पहले यू.एस.ए. वाली कंपनी के पैसे देने होंगे जिसके बाद रविंदर के साथ चार लाख रुपए में सैटिंग की जाएगी। 9 मार्च 2022 को गोल्ड लोन लेकर राजबीर सिंह के सामने मोनिक ने सी.ए. अर्शदीप सिंह को एक लाख रुपए दिए। फिर दो लाख रुपए राजबीर सिंह को दिए गए। 28 मार्च को राजबीर के दबाव में आने के बाद मोनिक ने गगनदीप सिंह के भाई दीपेंदर सिंह को किस्तों में 6.50 लाख रुपए (12500 डालर) दिए जो एडवांस में लिए गए थे। दीपेंदर सिंह ने लिखित में एग्रीमैंट दिया कि पैसे मिलने पर वह ई.डी. में दी गई शिकायत को वापस ले लेंगे। 25 अप्रैल 2022 को ई.डी. से शिकायत बंद करवाने का भय दिखाकर राजबीर सिह ने अर्शदीप सिंह को 60 हजार रुपए दिलाए जबकि 13 जुलाई 2022 को दोबारा से 40 हजार रुपए बैंक में ट्रांसफर किए गए। मोनिक ने कहा कि राजबीर उससे लगातार ई.डी. का भय दिखाकर पैसे मांग रहा था जिस पर शक हुआ तो वह खुद ई.डी. दफ्तर पहुंचा जहां जाकर उसे पता लगा कि उसके खिलाफ कोई शिकायत ही नहीं है।