मध्य प्रदेशराज्य

एमपी में सीएम पर सस्पेंस के बीच किसकी चमकेगी किस्मत, रेस में ये 5 दिग्गज

भोपाल : मध्य प्रदेश में क्या बीजेपी ‘गुगली‘ बॉल डालने वाली है। क्रिकेट की भाषा में यह ऐसी बॉल है जिसका पूर्वानुमान कोई नहीं लगा सकता। मुख्यमंत्री चयन को लेकर चल रही कवायद ने हर किसी के सामने एक सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या मध्य प्रदेश में कोई चौंकाने वाला नाम सामने आ सकता है? राज्य में भारतीय जनता पार्टी भारी बहुमत से जीती है। उसे 230 विधानसभा सीटों में से 163 पर जीत हासिल हुई है। परिणाम घोषित हुए छह दिन गुजर गए हैं, मगर अब तक यह फैसला नहीं हो पाया है कि मुख्यमंत्री कौन होगा।

पार्टी संगठन ने बतौर तीन पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिए। वह रविवार को भोपाल पहुंच भी गए और सोमवार को विधायक दल की बैठक भी प्रस्तावित है। एक तरफ जहां पार्टी ने तीन पर्यवेक्षकों की राज्य में मुख्यमंत्री चयन के लिए तैनाती कर दी है, वहीं पार्टी के कई दावेदारों की आपस में मेल मुलाकात का सिलसिला जारी है। दिल्ली हो या भोपाल तमाम बड़े नेता मिल-जुल रहे हैं और इस मेल-मुलाकात को लॉबिंग के तौर पर देखा जा रहा है।

राज्य में उभर रहे दावेदारों के नाम पर गौर करें तो केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रह्लाद पटेल सबसे आगे हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी चल रहा है। केंद्रीय मंत्री तोमर के समर्थन में तो ग्वालियर में पोस्टर तक लग चुके हैं, वहीं कुछ विधायक प्रहलाद पटेल का नाम भी मुख्यमंत्री के तौर पर ले रहे हैं।

यह बात अलग है कि कोई भी नेता खुद को भावी मुख्यमंत्री बताने से कतरा रहा है। इससे इतर अगर हम गौर करें तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा अपने को इस रेस से बाहर होने की बात कह चुके हैं। एक तरफ जहां बीजेपी के दिग्गज नेता विधानसभा चुनाव में जीत कर आए हैं तो वहीं दूसरी ओर पार्टी चौंकाने वाले नाम सामने लाने के लिए जानी जाती है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भले ही दावेदार खुले तौर पर सामने नजर आ रहे हों, मगर बीजेपी मध्य प्रदेश में क्रिकेट की सबको भ्रमित करने वाली बॉल ‘गुगली’ चलेगी। इसे नकारा नहीं जा सकता। हो सकता है सबके सामने ऐसा चेहरा हो जिसकी न तो अभी चर्चा है और न ही कोई अनुमान लगा पा रहा है। फिलहाल फाइनल डिसीजन तो दिल्ली यानी पार्टी आलाकमान से ही आएगा। ऐसे में बस करिए बीजेपी नेतृत्व की ‘गुगली’ का इंतजार।

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