राजनीति

छत्तीसगढ़ में एसटी व एमपी में ओबीसी सीएम, पीएम मोदी ने खोजी ‘जाति जनगणना’ की काट!

देहरादून (गौरव ममगाईं)। कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष जाति जनगणना को 2024 के चुनावी महासमर में बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है, इसके जरिये विपक्ष दलित, ओबीसी व आदिवासी (एसटी) समुदाय को रिझाने की कोशिश में है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधानसभा चुनाव में जीते हुए राज्यों में से 2 राज्यों में आदिवासी व ओबीसी वर्ग से नये चेहरों को मुख्यमंत्री बनाकर बड़ा सियासी दांव चल दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी के इस दांव के सामने विपक्ष का जाति जनगणना का वार भी बेअसर लगने लगा है।

  दरअसल, 3 दिसंबर को 5 राज्यों में विधानसभा चुनावों के परिणाम आये हैं, जिनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की है। जबकि, कांग्रेस सिर्फ तेलंगाना के रूप में एक ही राज्य में जीती। भाजपा ने अपने जीते हुए राज्यों में से छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय व एमपी में मोहन यादव को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया है। ये दोनों ही चेहरे सीएम की रेस में नहीं थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर अपने अभिनव प्रयोग से राजनीतिक पंडितों को भी चौंका दिया। छत्तीसगढ़ का फैसला 10 दिसंबर को व मध्य प्रदेश में सीएम का फैसला कल यानी 11 दिसंबर की शाम को ही लिया गया है।

chhatisgarh new cm vishnudev saay and mp new cm mohan yadav

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले की सबसे खास बात ये है कि छत्तीसगढ़ में सीएम पद के लिए चुने गये विष्णुदेव साय आदिवासी वर्ग से आते हैं। जबकि, मध्य प्रदेश में सीएम घोषित किये गये मोहन यादव ओबीसी वर्ग से हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन दो फैसलों से एक बार फिर बड़ा संदेश दे दिया है कि वह आदिवासी व ओबीसी समाज के सबसे बड़े हितैषी हैं। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 न 2019 लोकसभा चुनावों में खुद को ओबीसी वर्ग का बताकर ओबीसी वर्ग का बड़ा समर्थन भी हासिल किया था। इसका भी पीएम मोदी को 2024 में फिर लाभ मिलने की संभावना है।

  वहीं, अभी तक कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, जेडीयू, आरजेडी जैसी बड़ी विपक्षी पार्टियां पिछले एक साल से जाति जनगणना का मुद्दे को लगातार हवा दे रही हैं। हाल ही में हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी लगभग हर जनसभा में जाति जनगणना का मुद्दा प्रमुखता से उठाया और कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद जाति जनगणना कराने का वायदा करते भी दिखे थे। कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों की रणनीति है कि आगामी लोकसभा चुनाव में ओबीसी, दलित व आदिवासी समुदाय का ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल किया जा सके। वहीं, विपक्षी पार्टियां अल्पसंख्यक समुदाय को पहले ही अपना वोट बैंक समझती आई हैं। मगर, अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश में आदिवासी व ओबीसी वर्ग से सीएम घोषित करने के बाद कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों की टेंशन बढ़ गई है। विपक्षी दलों को डर सता रहा है कि पीएम मोदी के दांव से कहीं जाति जनगणना का मुद्दा ठंड़ा न पड़ जाये।

भारतीय राजनीति में क्या है जातीय राजनीति का महत्व ?

दरअसल, भारतीय संविधान में भाग-3 में आर्टिकल 14 से 18 में समानता का अधिकार का उल्लेख है, जिसमें आर्टिकल 14 में जाति, धर्म, लिंग, क्षेत्र के आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव न करने का वर्णन किया है। एक आदर्शवादी समाज में किसी भी तरह के भेदभाव या पक्षपाती मानसिकता का स्थान होना भी नहीं चाहिए। लेकिन, राजनीति ऐसा अपवाद है जहां राजनीतिक पार्टियां आदर्श समाज के निर्माण पर जोर तो देती हैं, मगर अपने-अपने वोट बैंक के आधार पर जाति-क्षेत्रवाद से प्रभावित भी रही हैं। भारत जैसे बहुलतावादी देश में भी कई राज्यों में जातीय राजनीति का खासा प्रभाव देखा जाता रहा है।

india alliance

हाल ही में बिहार के सीएम नीतीश कुमार द्वारा जाति जनगणना को सार्वजनिक करना भी इसी मानसिकता का प्रमाण है। वहीं, विपक्षी दलों द्वारा उठाया जाति जनगणना का मुद्दा भी इसी कड़ी का हिस्सा है।

 दरअसल, एक अनुमान के अनुसार, कई राजनीतिक पार्टियां कहती दिखी हैं कि देश में 40 से 50 फीसद तक ओबीसी वर्ग की आबादी हो सकती है। हालांकि, अभी तक कोई जाति जनगणना सार्वजनिक न होने के कारण किसी भी जाति की आबादी की संख्या स्पष्ट रूप से पता नहीं चल सकी है। बिहार, यूपी, मध्य प्रदेश, पंजाब, छ्तीसगढ, राजस्थान, कर्नाटक व कई अन्य बड़े राज्यों में ओबीसी वर्ग की अच्छी आबादी देखी जाती है। वहीं, सर्वाधिक आदिवासी आबादी में पहले स्थान पर मध्य प्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़, यूपी, पूर्वोत्तर राज्य, गोवा, राजस्थान, गुजरात व अन्य राज्य प्रमुख हैं। ऐसे में भारतीय राजनीति में ओबीसी व आदिवासी वर्ग के मतदाताओं को हर राजनीतिक पार्टियां विशेष महत्व देती रही हैं।

pm modi and amit shah

  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छत्तीसगढ़ व एमपी में आदिवासी व ओबीसी वर्ग का सीएम बनाने के फैसले को भाजपा व एनडीए आगामी 2024 लोकसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश करेगी। संभावना है कि जनता में एक बार फिर पीएम मोदी की ओबीसी व आदिवासी हितैषी छवि बरकरार रहे। यही वजह है कि पीएम मोदी के इन फैसलों के बाद विधानसभा चुनावों में पीएम मोदी के हाथों हार का सामना कर चुकी कांग्रेस व इंडिया गठबंधन के नेताओं की नींद उड़ी हुई है। अब देखना होगा कि 2024 के महामुकाबले में पीएम मोदी 2014, 2019 की तरह आदिवासी व ओबीसी वर्ग का समर्थन जुटाने में कितने सफल रहते हैं।  

Related Articles

Back to top button