देहरादून (गौरव ममगाईं)। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने युवाओं को बड़ी सौगात दी है। अब युवाओं को शिक्षा, नौकरी व अन्य प्रयोजन हेतु स्थायी निवास प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए अनावश्यक चक्कर लगाने नहीं पड़ेंगे। क्योंकि सीएम धामी ने युवाओं की समस्याओं को देखते हुए मूल निवास प्रमाण-पत्र होने पर स्थायी निवास के प्रमाण की बाध्यता को खत्म कर दिया है। यानी अब जिनके पास मूल निवास प्रमाण पत्र है, उन्हें स्थायी निवास की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह नई व्यवस्था आज से उत्तराखंड में लागू कर दी गई है।
दरअसल, तहसील में बनाये जाने वाले जाति, ईडब्लूएस समेत कई प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन करने पर स्थायी निवास प्रमाण-पत्र मांगा जाता है। इसके अलावा सेवायोजन विभाग मंक रजिस्ट्रेशन, उत्तराखंड अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोग, उत्तराखंड लोक सेवा आयोग में डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन के समय स्थायी निवास का प्रमाण मांगा जाता है। मूल निवास प्रमाण-पत्र दिखाने के बावजूद स्थायी निवास की अनिवार्यता की गई थी, जिससे युवाओं को तहसील के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इससे उनका न सिर्फ शारीरिक, बल्कि आर्थिक व मानसिक शोषण भी होता आ रहा था।
युवाओं की समस्याओं को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लोक कल्याण की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने शासन के शीर्ष अधिकारियों को सख्त लहजे में कहा है कि इस नई व्यवस्था को सख्ती से लागू कराया जाए। कोई भी विभाग आदेश की अनदेखी करता पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। सीएम के निर्देश के बाद कल यानी 20 दिसंबर को सचिन विनोद सुमन द्वारा आदेश जारी किये गये, जो आज से लागू हो गये हैं।