राजनीति

गिरफ्तारी के डर से केजरीवाल को याद आया ‘विपश्यना’ का ‘ध्यान’!

देहरादून (गौरव ममगाईं)। ईडी के समन के बावजूद पेश न होने के बाद गिरफ्तारी की आशंकाओं के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ‘विपश्यना’ का ध्यान शुरू किया है। सीएम केजरीवाल ने 10 दिन तक ध्यान में रहने के कारण ईडी के सामने पेश होने में असमर्थता जताई है। अब सवाल खड़े हो रहे है कि क्या अरविंद केजरीवाल ने ईडी की गिरफ्तारी के डर के कारण ‘विपश्यना’ का सहारा तो नहीं लिया ?  इस ध्यान की टाइमिंग व 10 दिन की समयसीमा को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।

ईडी

 दरअसल, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को ईडी द्वारा विधानसभा चुनाव के समय से अब तक कई नोटिस भेजे जा चुके हैं, लेकिन वह एक बार भी ईडी के सामने पेश नहीं हुए। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि ऐसे में अब केजरीवाल को आशंका है कि ईडी उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। इसलिए पिछले दिनों आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में एक सर्वे शुरू किया था, जिसमें लोगों से पूछा कि केजरीवाल गिरफ्तार हुए तो उन्हें जेल से सरकार चलानी चाहिए या नहीं। इसका मकसद जनता में केजरीवाल के प्रति सहानुभूति पैदा करना है। हालांकि, पार्टी के नेताओं का कहना है कि जनता की राय ही सर्वोपरि है। इसलिए जनता क्या चाहती है पार्टी के लिए यही सबसे महत्वपूर्ण है।

 अब केजरीवाल के विपश्यना ध्यान में जाने को ईडी की कार्रवाई से बचने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। फिलहाल ध्यान का हवाला देकर केजरीवाल अगले 10 दिनों तक ईडी की किसी भी कार्रवाई से बच तो जायेंगे, लेकिन सवाल उठता है कि इसके बाद केजरीवाल आगे क्या करेंगे ?

क्या है विपश्यना ? भारत में इसका इतिहास क्या है ?

बौध्द धर्म धर्म में ध्यान की पध्दति को विपश्यना के रूप में जानते हैं। विपश्यना को भगवान बुध्द की शिक्षा एवं उपदेशों का सार भी माना जाता है। विपश्यना आत्म निरीक्षण की प्रक्रिया है, जो स्वयं के व्यक्तित्व में बिना किसी बाहरी दबाव के विकास की प्रेरणा देती है। अर्थात् यह स्वयं को बेहतर ढंग से जानने की प्रक्रिया है। म्यांमार से भारत में पहली बार यह ध्यान पध्दति 1976 में महाराष्ट्र में आई थी। खास बात ये भी है कि एशिया की सबसे खतरनाक जेल तिहाड़ जेल में भी 1993-95 के मध्य विपश्यना ध्यान पध्दति को अपनाया गया था, जेल के कैदी यह ध्यान लगाते थे। इससे उनके व्यक्तित्व एवं जेल के माहौल में उल्लेखनीय बदलाव आया। इसका श्रेय तत्कालीन जेल महानिरीक्षक किरन बेदी को दिया जाता है।   

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