राजनीति

पीएम नरेंद्र मोदी के वो 3 किस्से, जिसमें छिपी संघर्ष की कहानी

देहरादून (गौरव ममगाईं)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भारत में सर्वाधिक लोकप्रिय चेहरा हैं। लोकसभा चुनावों में लगातार दो बार ऐतिहासिक जीत दर्ज करने वाले नरेंद्र मोदी ने भारतीय राजनीति को दिशा एवं दशा देने का काम किया है। आज पीएम मोदी भारत ही नहीं, बल्कि विश्व में सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में जाने जाते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी का संघर्ष कैसा रहा है ? चलिये आज हम आपको बताते हैं पीएम मोदी के युवावस्था के 3 चर्चित किस्से, जो उनके संघर्ष की कहानी को बखूबी बयां करते हैं।

किस्सा नंबर-1 –

..जब शाह के साथ स्कूटर में बैठकर रातभर पोस्टरों की निगरानी करते थे मोदी

वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने एक टीवी चैनल को दिये इंटरव्यू में पीएम मोदी से जुड़े  कई किस्से साझा किये।

rajdeep sardesai

राजदीप ने बताया कि वर्ष 1987 में अहमदाबाद मुन्सिपल कॉर्पोरेशन के इलेक्शन हो रहे थे, तब वह भी अहमदाबाद गये थे। तब उन्होंने देखा कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी स्कूटर में बैठकर लगातार शहर में चक्कर लगा रहे थे। उन्होंने पता किया तो पता चला कि नरेंद्र मोदी पार्टी के प्रत्याशियों के पोस्टरों की निगरानी कर रहे थे। वह यह देख रहे थे कि किसी भी प्रत्याशी के पोस्टर को विपक्षी पार्टी निकाल न दे या छेड़छाड़ न करें। पीएम मोदी पूरी ईमानदारी से रातभर शहर में चक्कर लगाते रहते थे।  

किस्सा नंबर-2 –

पार्टी कार्यालय में मीटिंग कर रहे थे बड़े नेता, मोदी बाहर बैठते थेः

राजदीप सरदेसाई ने बताया कि वर्ष 1995 की बात है, जब वह गुजरात में उस समय भाजपा के एकमात्र कार्यालय में पहुंचे थे, जो खानपुर में स्थित था। मैने पीएम मोदी से पूछा कि आप इधर अकेले क्यों बैठे हो, कार्यालय के अंदर तो महत्वपूर्ण बैठक चल रही है। तब मोदी ने कहा था कि अंदर बड़े नेता हैं, मुझे अंदर जाने की अनुमति नहीं है। मैं इधर ही ठीक हूं। राजदीप कहते हैं कि पीएम मोदी पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता थे, उन्होंने उपेक्षा का भी लंबा समय देखा है।

किस्सा नंबर 3-

जब डिबेट के लिए भागे-भागे टीवी चैनल के ऑफिस में पहुंचे थे मोदी

राजदीप सरदेसाई ने बताया कि वर्ष 1999 का किस्सा है, जब उनके टीवी चैनल पर डिबेट होनी थी। कांग्रेस की तरफ से राजेश पायलट बुलाये गये थे, भाजपा की तरफ से विजय मल्होत्रा को बुलाया गया था, लेकिन डिबेट से करीब एक घंटा पहले उन्होंने पेट में दर्द का कारण बताकर डिबेट में शामिल होने से मना कर दिया था। इसके बाद उनका शो कैंसल करने पर विचार चल रहा था। राजदीप ने बताया कि उन्होंने सीनियर से कहा कि डिबेट कैंसल न करें, उनकी नजर में भाजपा का एक अच्छा नेता है, वह कोशिश करेंगे कि वह मान जाये। इसके बाद राजदीप ने उस भाजपा नेता को फोन लगाया, उनका नाम था-नरेंद्र मोदी। नरेंद्र मोदी शुरू से ही राजनीतिक समझ के धनी थे। उन्होंने मुझे सबसे पहले यही बोला कि जरूर भाजपा के नेताओं ने डिबेट में हिस्सा लेने से मना किया होगा, मजबूरी में मुझे बुला रहे हो आप। राजदीप ने फिर गुजराती बोलकर मोदी का दिल जीतने की कोशिश की औऱ आखिरकार मोदी मान जाते हैं। डिबेट शुरू होने से 5 मिनट पहले मोदी भागे-भागे आते हैं और बोलते हैं कि देखा, मैं समय पर पहुंच गया। राजदीप कहते हैं कि नरेंद्र मोदी उस समय से ही टीवी व तकनीकी महत्त्व को समझते थे, उन्हें जब भी टीवी पर बात रखने का मौका मिलता तो वह प्रभावी ढंग से अपनी बात को रखते थे।

 नरेंद्र मोदी अपनी मेहनत के बल पर आज कामयाबी के शिखर पर पहुंचे हैं, उन्हें राजनीतिक प्रतिष्ठा, धन-शोहरत अन्य राजनेताओं की तरह विरासत में नहीं मिली है। पीएम मोदी की इस कामयाबी में उनका कई दशकों का लंबा संघर्ष छिपा है।

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