दस्तक टाइम्स एजेंसी/मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बृहस्पतिवार को पूरी कैबिनेट केसाथ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से दिल्ली में बिगड़े हालात की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति से शिकायत में कहा है कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को खुली चुनौती दे रही है।
पुलिस को उसके आका केंद्र सरकार ने ही पटियाला हाउस कोर्ट में बिगड़े हालात में चुप रहने का आदेश दिया, क्योंकि पुलिस अपने आप कुछ नहीं करते। ताकि जेएनयू मुद्दा बना रहे और देश सुलगता रहे।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राष्ट्रपति के सामने तीन चिंताएं जाहिर की। केजरीवाल ने पूरे मामले में केन्द्र सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा, भारत विरोधी नारे लगाने वालों के साथ कोई नहीं है।
लेकिन केन्द्र सरकार दोषियों को पकड़ने में नाकायाब रही है। इसके दो ही कारण हो सकते हैं केन्द्र उन्हें पकड़ नहीं पा रही है या उनको पकड़ना नहीं चाहती। ताकि मुद्दा बना रहे और देश सुलगता रहे।
इनके पास अस्सी हजार दिल्ली पुलिस, पैरामिलिट्री फोर्स, आईबी, रॉ है। फिर भी 4 छात्र नहीं पकड़ पा रहे हैं तो फिर इनसे पठानकोट के आतंकवादी क्या पकड़े जाएंगे।
दूसरा पटियाला हाउस कोर्ट में पिछले दो दिन की घटना की जानकारी भी राष्ट्रपति को दी। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को विशेष तौर पर आदेश दिया था कि पहले दिन जिस तरह से छात्र, शिक्षक व पत्रकारों के साथ मारपीट हुई, ऐसी घटना नहीं होनी चाहिए।
लेकिन पुलिस मूक दर्शक बनी रही। अगर सुप्रीम कोर्ट से 200 मीटर की दूरी पर उनका आदेश लागू होने बंद हो गए तो देश में कोई संविधान नहीं बचेगा।
फिर केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री की तानाशाही चलेगी। ये देश के लिए बहुत खतरनाक है। केजरीवाल ने कहा, भाजपा विधायक ओपी शर्मा और गलत तत्वों ने कोर्ट परिसर में हमला किया, पूछा तो कह दिया देश विरोधी नारे लगा रहे थे।
ओपी शर्मा और गुंडे खुलेआम घूम रहे हैं? इसका मतलब कोई किसी का कत्ल कर दे, पुलिस को कहे कि देश विरोधी नारे लगा रहे थे। तो माफ हो जाएगा। ये कौन सा नया कानून है। कौन तय करेगा कि देश के विरुद्ध क्या है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट बंद कर दो।
केजरीवाल ने बताया कि तीसरा मामला, कपिल मिश्रा को जान से मारने की धमकी का उठाया है। हम कहना चाहते हैं कि हम तुम्हारी गीदड़ भवकियों से डरने वाले नहीं।
मैं केन्द्र सरकार से अपील करता हूं कि अभी भी स्थिति बिगड़ी नहीं है, इसका संभाल लीजिए। इसे और मत बिगडने दीजिए। पुलिस सशस्त्र बल है, ये अपने आप कोई फैसला नहीं ले सकते।
उनके आका जो आदेश देंगे, ये वही करेंगे। पुलिस को उनके आका केन्द्र सरकार ने कहा था कि चुप रहना, कुछ मत करना। इसका मतलब है कि केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को खुली चुनौती दी है कि हम आपका आदेश नहीं मानेंगे जो कर सकते हो कर लो।
अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री।