चिप सप्लाई और निर्यात के मुद्दे पर अमेरिका और चीन के बीच ठनी
नई दिल्ली (विवेक ओझा): चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर किसी न किसी रूप में 2015 से लगातार जारी है। दोनों एक दूसरे पर आर्थिक भेदभावकारी नीतियां अपनाने का आरोप लगाते हैं। अमेरिका का कहना रहा है कि चीन अपने बाजार में अमेरिकी वस्तुओं को पर्याप्त मार्केट एक्सेस नहीं देता जिससे अमेरिका को चीन से द्विपक्षीय व्यापार के मामले में व्यापारिक घाटे ( Trade deficit) का सामना करना पड़ता है। इसीलिए अमेरिका चीन के खिलाफ आर्थिक मोर्चे खोलने के लिए तैयार रहता है।
हाल ही में चीन के वाणिज्य मंत्री वैंग वेंटाओ ने इस बात पर चिंता जाहिर की है कि अमेरिका अन्य देशों को चीन को लिथोग्राफी मशीन ( lithography machine) के निर्यात पर रोक लगवाने की कोशिश कर रहा है। चीन के वाणिज्य मंत्री ने अमेरिका के कॉमर्स सेक्रेटरी को फोन पर अपनी यह चिंता जाहिर की है।
वहीं यूएस ने हाल के समय में कोशिश की है कि चीन को एडवांस्ड चिप और चिप बनाने वाले उपकरणों तक एक्सेस न मिले। यूएस का मानना है कि चीन इनका इस्तेमाल एआई और अत्यंत परिष्कृत कंप्यूटर्स के जरिए अपनी मिलिट्री के लिए कर सकता है। अमेरिका का चीन को लिथोग्राफी मशीन के किसी थर्ड पार्टी एक्सपोर्ट पर पाबंदियां लगवाने का प्रयास चीन को रास नहीं आ रहा है लेकिन वो इस मामले में कुछ कर भी नहीं पा रहा है। चीन का कहना है कि अमेरिका कि ऐसी नीति चिप सप्लाई चेन को प्रभावित कर सकती है।
गौरतलब है कि नीदरलैंड जो कि विश्व के सबसे प्रमुख चिप विनिर्माता कंपनी एएसएमएल का गढ़ है, ने चीन को चिप सप्लाई के मामले में झटका दिया है। 1 जनवरी को ASML ने कहा है कि डच सरकार ने चीन को भेजे जाने वाले चिप उपकरणों के निर्यात को रद्द कर दिया है। ASML की सबसे परिष्कृत मशीन एक्सट्रीम अल्ट्रावायलेट ईयूवी लिथोग्राफ़ी मशीन को चीन भेजने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और इन्हें कभी चीन भेजा ही नहीं गया। इससे पूर्व 2019 से डच सरकार ने ASML को अपनी सबसे उन्नत लिथोग्राफी मशीनें चीन को बेचने से रोक दिया है। उल्लेखनीय है कि लिथोग्राफी मशीनें माइक्रोचिप्स की निर्माण प्रक्रिया के हिस्से के रूप में सिलिकॉन पर छोटे पैटर्न मुद्रित करने के लिए लेजर का उपयोग करती हैं।
वाशिंगटन स्थित अटलांटिक काउंसिल थिंक टैंक के डेक्सटर रॉबर्ट्स का कहना है कि नीदरलैंड का निर्णय “एक वास्तविक कदम है, अमेरिका के लिए एक वास्तविक जीत है और चीन के लिए भी बहुत बुरी खबर है”। अमेरिका-चीन संबंध पहले से ही काफी खराब स्थिति में हैं। इससे जाहिर तौर पर चीजें और भी खराब हो जाएंगी। अमेरिका नीदरलैंड और जापान पर भी इसी तरह के प्रतिबंध अपनाने के लिए दबाव डाल रहा है। अमेरिका पहले ही घोषणा कर चुका है कि अमेरिकी टूल या सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके चीन को चिप्स निर्यात करने वाली कंपनियों के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होगी, चाहे वे दुनिया में कहीं भी बने हों।