उत्तराखंड

उत्तराखंड पुलिस के लिए लाई गई न्यू सोशल मीडिया पॉलिसी

देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड पुलिस को ” स्मार्ट और रिस्पॉन्सिव पुलिस” के रूप में विकसित करने का विजन रखते हैं। उत्तराखंड पुलिस अपने मूल लक्ष्य से सदैव तत्परता से जुड़ी रहे, इसके लिए उत्तराखंड पुलिस की हर एक गतिविधि जिसमें सोशल मीडिया इंगेजमेंट भी शामिल है, पर निगाह रखी गई है और इसके साथ ही उत्तराखंड पुलिस के लिए नई सोशल मीडिया पॉलिसी लाई गई है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स आज के समय की ऐसी सच्चाई हैं जिससे कोई भी अछूता नहीं है। आम नागरिक हों, प्रशासनिक अधिकारी हों या पुलिस अधिकारी हर कोई सोशल मीडिया नेटवर्किंग साइटों का इस्तेमाल कर रहा है। यह पैसा कमाने का भी अच्छा जरिया बन चुका है। लेकिन इसका इस्तेमाल कौन और किस मकसद से कर सकता है इसकी पॉलिसी होना जरूरी है।

खासकर पुलिस अधिकारी, सरकारी कर्मचारी सोशल मीडिया का जिम्मेदार इस्तेमाल करें यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इस कड़ी में उत्तराखंड पुलिस के लिए नई सोशल मीडिया पॉलिसी ( New social media policy for Uttrakhand Police) लाई गई है। इस पॉलिसी का उद्देश्य उत्तराखंड गवर्नमेंट एम्प्लॉयी कंडक्ट रूल्स , 2002 ( Uttrakhand Government Employee conduct Rules, 2003) के उल्लंघन की किसी भी संभावना को रोकना है। यह पॉलिसी पुलिस मुख्यालयों को उत्तराखंड पुलिस में अनुशासन बनाए रखवाने में मददगार साबित होगा। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार भी यूपी पुलिस के लिए ऐसी ही सोशल मीडिया पॉलिसी पिछले साल लॉन्च कर चुकी है।

इस पॉलिसी की मुख्य बातें हैं :

अब से उत्तराखंड के पुलिस कर्मचारी अपने पुलिस स्टेशनो, पुलिस ऑफिसो , या अन्य कार्यालयों के निरीक्षण के दौरान सोशल मीडिया प्लेटफार्म से लाइव टेलीकास्ट नहीं कर पाएंगे। परेड, ड्रिल, फायरिंग ( Parade, drill, firing) में भाग लेने के दौरान भी उत्तराखंड पुलिस के लोग लाइव टेलीकास्ट नहीं कर सकेंगे। अब इस नई पॉलिसी में इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

उत्तराखंड के पुलिस के अधिकारियों, कर्मचारियों को पुलिस वर्दी ( police uniform) में रील्स और विडियो बनाकर उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। रील और वीडियो से पैसा कमाने पर भी रोक लगा दी गई है। अब उत्तराखंड के पुलिस के लोग इसे अतिरिक्त आय के साधन के रूप में इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। दरअसल ऐसा करना जरूरी भी था क्योंकि ऐसा पाया गया है कि पुलिस पदों पर आसानी कई कर्मचारी, अधिकारी आम नागरिकों की तुलना में अपने पद की लोकप्रियता के चलते भारी संख्या में फॉलोवर और सब्सक्राइबर्स पा लेते हैं और फिर अपने मूल दायित्व से हटकर सोशल मीडिया से पैसा कमाने की कोशिशों में लगे रहते हैं। उन्हें पुलिस का पद इस काम के लिए नहीं मिला था। इस लिहाज से उत्तराखंड सरकार का यह सही प्रावधान है।

इस पॉलिसी में साफ तौर पर कहा गया है कि उत्तराखंड के पुलिस कर्मचारी, अधिकारी आम आदमी के रूप में अपने पोस्ट सोशल मीडिया पर डाल सकेंगे लेकिन उत्तराखंड गवर्नमेंट एम्प्लॉयी कंडक्ट रूल्स , 2002 या ऐसे ही किसी अन्य कानूनों का उल्लंघन न होने पाए तो ही ऐसा कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के पहले उत्तराखंड पुलिस को ह्यूमन डिग्निटी का ध्यान रखना होगा। पुलिस कर्मचारी अपनी उपलब्धियों से जुड़ी पोस्ट साझा कर सकते हैं, ऐसा इस नई सोशल मीडिया पॉलिसी में अनुमति है। वेबिनार और लेक्चर देने या अटेंड करने के पहले भी उत्तराखंड के पुलिस कार्मिकों को पूर्व अनुमति लेनी होगी।

विवेक ओझा, दस्तक टाइम्स, उत्तराखंड संपादक

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