नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम कहां तक रहा सफल
नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम ( NCAP) के 5 साल पूरे हो गए हैं। अब सवाल ये उठता है कि इसके लिए जो 9631.3 करोड़ रुपए दिए गए उनका कितना प्रभावी इस्तेमाल हुआ। साल 2019 में शुरू किए गए राष्ट्रीय शुद्ध वायु कार्यक्रम (NCAP) का लक्ष्य उन 131 शहरों में 2024 तक PM2.5 और PM10 कंसंट्रेशन में 20-30 प्रतिशत की कमी करना है, जो 2011 से 2015 तक निर्धारित एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड को पूरा नहीं करते थे।
सरकार ने अब 2026 तक इन शहरों में पार्टिकुलेट मैटर सांद्रता ( Particulate matter concentration) में 40 प्रतिशत की कमी लाने का नया लक्ष्य निर्धारित किया है । NCAP के अंतर्गत आने वाले मेघालय के बर्नीहाट ने साल 2023 में उच्चतम वार्षिक औसत PM10 सांद्रता 301 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज की, जबकि असम के सिलचर ने 29 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर सबसे कम PM10 स्तर दर्ज किया।
थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर में साउथ एशिया के विश्लेषक सुनील दहिया ने बताया है कि साल 2023 में 75 फीसदी से अधिक दिनों के एयर क्वालिटी डेटा वाले 227 शहरों की स्टडी की गई। इनमें से 85 शहर नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP) के तहत शामिल किया गया था। आंकड़ों से पता चला कि 85 में से 78 शहरों का PM10 का स्तर NAAQS (60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) से अधिक था।
NCAP प्रोग्राम के तहत साल 2024 तक देश में 1500 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र (Air Quality Monitoring Station) बनाए जाने थे लेकिन अभी तक सिर्फ 180 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र ही बनाए गए हैं।साल 2019 में देश में 703 मैनुअल मॉनिटरिंग स्टेशन थे जिसके बाद से अब तक यह आंकड़ा बढ़कर 883 हो गया है।
सरकार ने बीते दो सालों में 45 स्टेशन हर साल स्थापित किए लेकिन तय लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार को हर साल 300 स्टेशन बनाने होंगे। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।