नई दिल्ली (विवेक ओझा): दिल्ली उच्च न्यायालय के सामने एक याचिका आई है , जिसमें 46 अफगान शरणार्थी छात्रों को शिक्षा के अधिकार ( Right to education) की सुविधा से वंचित करने पर प्रश्न किया गया है। ये सुविधाएं यूनिफॉर्म, छात्रवृत्ति से जुड़ी हैं और इन अफगान रिफ्यूजी स्टूडेंट्स को राइट टू एजुकेशन के इस अधिकार और सुविधा से कथित तौर पर इसलिए वंचित किया गया है कि इन्होंने अपना बैंक अकाउंट नहीं खोला है। जिन छात्रों ने अपना बैंक खाता खोला है उन्हें RTE कानून के तहत मौद्रिक लाभ मिल रहा है।
याचिका अधिवक्ता अशोक अग्रवाल और कुमार उत्कर्ष ने पेश की है और इसमें अफगान रिफ्यूजी बच्चों के साथ भेदभावपूर्ण, अनुचित, अनैतिक , बाल विरोधी बर्ताव करने और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। वहीं टेक्स्टबुक, राइटिंग मैटेरियल, यूनिफॉर्म के लिए बच्चों को पैसा उनके अकाउंट में ट्रांसफर करने का प्रावधान है और ऐसा दिल्ली राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंपलसरी एजुकेशन रूल्स, 2011 के रूल 8 में भी कहा गया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस याचिका पर ऑर्डर को रिजर्व कर लिया है। जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोरा की बेंच ने सभी पक्षों के द्वारा पेश की गई दलीलों के पास ऑर्डर को रिजर्व रख लिया है। ये अफगान शरणार्थी छात्र नई दिल्ली के जंगपुरा एक्सटेंशन के एमसीडी प्राइमरी स्कूल में पढ़ रहे हैं। इस स्कूल में कुल 178 छात्रों में से 73 अफगान शरणार्थी छात्र हैं। लेकिन उन्हें बच्चों को निः शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार के तहत दी गई गारंटी के तहत मिलने वाले मौद्रिक लाभों से वंचित रखा गया है।