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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से वैश्विक स्तर पर 40 प्रतिशत रोजगार होगा प्रभावित : अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट

नई दिल्ली, ( विवेक ओझा) : इंटरनेशनल मोनेटरी फंड यानी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से वैश्विक स्तर पर 40 प्रतिशत रोजगार प्रभावित होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के रोजगारों पर पड़ने वाले प्रभावों का मूल्यांकन करते हुए इस बात को आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में उजागर किया है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) क्या है और कैसे काम करता है?आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को हिंदी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता कहते हैं, जिसका मतलब है बनावटी यानी कृत्रिम तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कम्प्यूटर साइंस की एक एडवांस्ड शाखा है। इसमें एक मशीन को कम्प्यूटर प्रोगामिंग के जरिए इतना बुद्धिमान बनाने की कोशिश की जाती है, जिससे वो इंसानों की तरह सोच-समझ सके और फैसले ले सके। दूसरे शब्दों में कहें तो, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये एक ऐसा कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने की कोशिश होती है जिसके आधार पर एक इंसान का दिमाग काम करता है।

AI की शुरुआत कब और किसने की ?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जनक अमेरिका के कम्प्यूटर साइंटिस्ट जॉन मैकार्थी को माना जाता है। मैकार्थी ने 1956 में डॉर्टमाउथ कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था। इसी कॉन्फ्रेंस में उन्होंने पहली बार AI के कॉन्सेप्ट और संभावनाओं पर चर्चा की थी। जॉन मैकार्थी के मुताबिक, AI बुद्धिमान मशीनों, विशेष रूप से बुद्धिमान कंप्यूटर प्रोग्राम को बनाने का विज्ञान और इंजीनियरिंग है। जिसका मतलब है मशीनों द्वारा प्रदर्शित किया गया इंटेलिजेंस। AI की शुरुआत भले ही 1950 के दशक में हुई, लेकिन इसे पहचान 1980 के दशक की शुरुआत में मिली, 1981 में जापान ने इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए Fifth Generation नाम की एक योजना की शुरुआत की। इसमें सुपर-कम्प्यूटर के विकास के लिए 10-वर्षीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी।

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