केजरीवाल का राजनीति छोड़ने का ऐलान, मगर रख दी ये 5 बड़ी शर्तें
देहरादून (गौरव ममगाईं)। दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने राजनीति से संन्यास लेने की बड़ी घोषणा की है। मगर, केजरीवाल ने ऐसी 5 बड़ी शर्तें भी रख दी, जिनका फिलहाल पूरा होना मुमकिन नजर नहीं आता। वैसे भी जिसकी रग-रग में राजनीति बसी हो, भला वो संन्यास ले भी कैसे सकता है।
केजरीवाल ने यह घोषणा हरियाणा में एक जनसभा के दौरान की। उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री-मंत्री बनने नहीं आया हूं। मेरा मकसद लोगों की सेवा करना है। आप मेरी आम जनता से जुड़ी 5 मांगें मान लीजिए, मैं हमेशा के लिए राजनीति छोड़ दूंगा। पहली मांग है- हर नागरिक को सस्ती व गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सेवा मिले। दूसरी मांग है- एक समान शिक्षा। तीसरी मांग है- हर नागरिक को रोजगार। चौथी है- महंगाई को कम करना और पांचवी है- सस्ती बिजली मुहैया करना। इस दौरान उन्होंने मोदी सरकार को हर समस्याओं के लिए जिम्मेदार भी ठहराया।
मीडिया की सुर्खियां बटोरने के माहिर हैं केजरीवाल
इन सबके बीच यह बात तो माननी होगी कि अरविंद केजरीवाल मीडिया की फुटेज पाने में सबसे माहिर खिलाड़ी हैं। उन्हें पता है कि किस बात को किस तरह पेश करने से लोगों का ध्यान खींचा जा सकता है। अब दिल्ली का कथित शराब घोटाले को ही देख लीजिए.. जिस कथित घोटाले में दिल्ली सरकार के तत्कालीन उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया जेल की सलाखों में हैं, उसी मामले में अब अरविंद केजरीवाल की भूमिका पर भी सवाल खड़े होते नजर आ रहे हैं। ईडी कई बार केजरीवाल को समन भी भेज चुकी है, मगर अरविंद केजरीवाल राजनीति के इतने बड़े खिलाड़ी हैं कि उन्होंने ईडी को ही उल्टा कठघरे में खड़ा कर दिया है। केजरीवाल एक बार भी ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए, उल्टा वे ईडी द्वारा गिरफ्तार करने की आशंका जताकर जनता के बीच जाकर सहानुभूति बटोर रहे हैं। इस दौरान जब केजरीवाल को गिरफ्तार का डर सताया तो वे पंजबा में कई दिन तक मेडिटेशन करने पहुंच गए। वहीं, सीएम केजरीवाल अब दिल्ली, पंजाब के बाद हरियाणा में भी अपनी पार्टी की पैठ बनाने में जुट गए हैं। केजरीवाल एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा से भिड़ रहे हैं तो दूसरी ओर गठबंधन की मुख्य सहयोगी कांग्रेस की टेंशन भी लगातार बढ़ाने में लगे हैं।