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चकराता-मसूरी में पहली बार स्नो-फॉल में एक महीने की देरी, ऐसा क्यों  हुआ ?

देहरादून (गौरव ममगाईं)। आज दुनिया क्लाइमेट चेंज के संकट से जूझ रही है। भारत में हिमालयी राज्य भी इससे अछूते नहीं हैं। कई वैज्ञानिकों ने चेताया है कि भारत में जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड समेत अन्य हिमालयी राज्य क्लाइमेट चेंज से प्रभावित हो रहे हैं। यह क्लाइमेट चेंज मौसम चक्र परिवर्तन व आपदाओं का कारण बन रहा है। इसी का नतीजा आज मसूरी व चकराता में भी नजर आने लगा है। उत्तराखंड में स्नो-फॉल के लिए देशभर में लोकप्रिय चकराता व मसूरी में इस सीजन में पूरे जनवरी में स्नो-फॉल नजर नहीं आया। अमूमन हर बार न्यू-ईयर के आस-पास पहला स्नो-फॉल देखने को मिलता रहा है।

  चकराता व धनोल्टी में 31 जनवरी की रात व 1 फरवरी को पहला स्नो-फॉल देखने को मिला। इससे करीब एक महीने से बर्फबारी का इंतजार कर रहे सैलानियों ने बड़ी राहत की सांस ली। बर्फ की श्वेत चादर ओढ़े चकराता की पहाड़ियां बेहद खूबसूरत नजर आ रही हैं। वहीं, चकराता में उत्तराखंड के अलावा, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, यूपी से पर्यटक पहुंचने शुरू हो गए हैं। मगर, मसूरी में स्नो-फॉल देखने के लिए अभी पर्यटकों को थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा। मसूरी में 31 जनवरी को जमकर ओले पड़े, लेकिन स्नो-फॉल नहीं हुआ। इससे पर्यटक खासे मायूस नजर आए।

4 व 5 फरवरी को फिर बारिश व स्नो-फॉल के आसार

 मौसम केंद्र देहरादून के निदेशक विक्रम सिंह के अनुसार, चकराता में अच्छी बर्फबारी हुई है। तापमान शून्य से नीचे दर्ज किया गया है। जबकि, मसूरी में बर्फबारी नहीं हुई। 4 व 5 फरवरी को बारिश व बर्फबारी होने का अनुमान है। संभव है कि इस बार मसूरी में पहला स्नो-फ़ॉल देखने को मिले। बता दें कि मसूरी व चकराता में हर साल 25 दिसंबर से 10 जनवरी के बीच पहली बर्फबारी देखने को मिलती रही है। यह पहला मौका है जब पहली बर्फबारी फरवरी महीने में देखने को मिल रही है। कई मौसम जानकारों का कहना है कि पहली बर्फबारी के समय में इतना विलंब क्लाइमेट चेंज के कारण हो रहा है।

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