लुधियाना: पंजाब रोडवेज, पनबस व पी.आर.टी.सी. कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन पंजाब की बैठक मुख्यमंत्री के साथ होनी तय हुई थी, जिसके चलते यूनियन के प्रतिनिधि चंडीगढ़ पहुंचे, लेकिन बैठक की बजाय अगली तारीख का पत्र जारी कर दिया गया। इस पत्र को यूनियन द्वारा मौके पर ही खारिज कर दिया गया। यूनियन ने इसका विरोध करते हुए मीटिंग की कापी डिपुओं के गेट पर 9 फरवरी को जलाने का फैसला किया है।
जानकारी देते हुए कमल कुमार, रेशम सिंह गिल, शमशेर सिंह, बलजीत सिंह, हरकेश कुमार, जगतार सिंह, गुरप्रीत सिंह पन्नू, बलजिंदर सिंह ने कहा कि सरकार बनने से पहले परिवहन कर्मचारियों से बड़े पैमाने पर वादे किए गए थे लेकिन आज तक कोई सार्थक समाधान नहीं निकल पाया है। लगातार हो रही कार्रवाई से नाराज परिवहन विभाग के कर्मचारियों ने और कड़ा फैसला लेते हुए कहा कि पंजाब सरकार द्वारा की जा रही राजनीतिक रैलियों में सरकारी बसें कच्चे कर्मचारी नहीं लेकर जाएंगे और रैलियों का कड़ा विरोध किया जाएगा।
इसके साथ ही पनबस, पी.आर.टी.सी. के कर्मचारी केवल रूट ड्यूटी करते हुए लोगों को ट्रांसपोर्ट सुविधा उपलब्ध कराएंगे। इसके साथ ही बसों में 52 से अधिक यात्रियों को बैठाने की छूट दी गई। अब यह छूट नहीं मिलेगी क्योंकि यूनियन को उम्मीद थी कि पंजाब के मुख्यमंत्री नई बसें लाने समेत अन्य मांगों का कोई ठोस समाधान निकालेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यूनियन ने कहा कि अब मजबूरी में 13, 14 और 15 फरवरी को पंजाब के मुख्यमंत्री के आवास पर 3 दिवसीय हड़ताल की जाएगी और 16 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल में भी हिस्सा लिया जाएगा। इस दौरान जान-माल के नुकसान की जिम्मेदारी पंजाब सरकार और विभाग के उच्च अधिकारियों की होगी।