नई दिल्ली : विद्या, ज्ञान, संगीत व कला की देवी वीणावादिनी मां सरस्वती का जन्मोत्सव वसंत पंचमी 14 फरवरी (बुधवार) को मनायी जाएगा। यह पर्व ऋतुराज वसंत के आगमन की सूचना देता है। इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, पदभार ग्रहण, विद्या आरंभ, वाहन व भवन खरीदने जैसे कार्य अतिशुभ माने जाते हैं। इसी दिन से फाग उड़ाना (गुलाल) प्रारंभ होता है। होलिका दहन के स्थानों पर लकड़ी रखे जाने की भी परम्परा है। ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि इस वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 13 फरवरी को दिन में 2.41 से लगेगी। जोकि 14 फरवरी को दोपहर 12.09 पर समाप्त होगी। वसंत पंचमी 14 फरवरी को होगी। पूजन का मुहूर्त सुबह 6.44 से दोपहर 12.21 तक श्रेष्ठ होगा।
हाथी बाबा मंदिर के पंडित आनंद दुबे ने बताया कि वसंत पंचमी पर मां सरस्वती की सुबह स्नान कर पूजा करनी चाहिए। पूजन में दूध, दही, मक्खन, सफेद तिल के लड्डू, पीले व सफेद रंग की मिठाई व फूलों को अर्पण करना चाहिए। इस दिन पीले वस्त्रत्त् पहनने चाहिए और पीले रंग की खाद्य सामग्री का सेवन करना चाहिए। वसंत पंचमी पर कामदेव और रति का पूजन भी किया जाता है।
इस बार बसंत पंचमी पर बहुत ही अच्छे शुभ योग बन रहे हैं। वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा के लिए शुभ योगों व नक्षत्रों का निर्माण होने जा रहा है। बसंत पंचमी पर रेवती के साथ अश्विनी नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इसके अलावा शुभ, रवि योग, शुक्र-मंगल-बुध की युति से त्रिग्रही योग बनेगा. वहीं बसंत पंचमी के दिन मेष राशि में चंद्रमा-गुरु की युति से गजकेसरी योग बन रहा है जो धन दायक माना जाता है । ऐसे में अगर विद्यार्थी माता सरस्वती की पूजा के दौरान उनकी प्रिय वंदना करेंगे और माता के मंत्रों का जाप करेंगे तो माता सरस्वती की कृपा आपको जरूर प्राप्त होगी।