उत्तराखंड

अब अपनी भूमि पर काट सकेंगे पेड़, सिर्फ 15 प्रजातियों पर प्रतिबंध

दस्तक ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में धामी सरकार आमजन के हित में वन व वृक्ष संरक्षण अधिनियम में बड़ा संशोधन करने जा रही है। इसके तहत अब उत्तराखंडवासी अपनी निजी भूमि पर उपयोगहीन वृक्ष को काट सकेंगे। इसके लिए आपको वन विभाग से अनुमति लेने की लंबी व जटिल प्रक्रिया के चलते भटकना नहीं पड़ेगा। सिर्फ 15 संरक्षित प्रजातियों को काटने पर प्रतिबंध रहेगा। खास बात ये है कि धामी सरकार ने भूमि स्वामी को पेड़ काटने का अधिकार तो दिया, लेकिन साथ ही भूमि स्वामी की पर्यावरण संरक्षण हेतु जवाबदेही भी तय की गई है।

दरअसल, वन विभाग ने वन व वृक्ष संरक्षण अधिनियम में संशोधन के लिए प्रस्ताव बनाकर शासन में न्याय विभाग को भेजा था। इस प्रस्ताव का अध्ययन कर न्याय विभाग ने अपनी मंजूरी दे दी है। अब इसे विधायी स्वीकृति मिलनी शेष है, जिसके बाद शासन स्तर पर इसके आदेश जारी हो सकते हैं। नये नियम के अनुसार, उत्तराखंड में 15 वृक्ष प्रजातियों को संरक्षित श्रेणी में रखा जाएगा, जिन्हें काटने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। इनके अलावा अन्य प्रजातियों के वृक्षों को भूमि स्वामी काट सकेंगे।

इस प्रजातियों को काटने पर रहेगा प्रतिबंध

रक्षित प्रजातियों में बांज, पीपल श्रेणी ( बरगद), कैल, खैर, देवदार, बीजा साल, बुरांस, शीशम, सागौन, सादन, साल, चीड़, अखरोट, आम, लीची आदि हैं।

पेड़ काटने के लिए ये होंगे नियम

प्रस्तावित नये नियमों के अनुसार, पेड़ को भूमि स्वामी विशेष कारणों से पेड़ को काट सकते हैं।

– पेड़ सूखा व जर्जर हो गया हो।

– संपत्ति व मार्ग में खतरा पैदा कर रहा हो।

– सरकारी विकास कार्य हेतु या फल देने की क्षमता खत्म होने पर।

भूमि स्वामी को पेड़ काटने के बाद दो पेड़ लगाने होंगे। यदि वह दो पेड़ लगाने का इच्छुक नहीं है तो उन्हें 5 वर्ष तक का पौधों के रख-रखाव का खर्च वन विभाग में जमा करना होगा।

धामी सरकार की ओर से विधायी मंजूरी मिलने के बाद संशोधित कानून प्रदेश में लागू हो जाएगा। जाहिर है कि यह नियम एक तरफ जहां भूमि स्वामियों को बड़ी राहत देंगे, वहीं दो पेड़ लगाकर पर्यावरण को भी हरा-भरा रखने में सक्षम होंगे।

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