केरल ने केंद्र से की वन्य जीव संरक्षण अधिनियम में संशोधन की सिफारिश
नई दिल्ली ( दस्तक ब्यूरो) : केरल में इंसान-जानवरों के बीच संघर्ष की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर राज्य विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से वन्यजीव संरक्षण कानूनों में संशोधन करने का आग्रह किया है। यह प्रस्ताव इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए लाया गया, जिनमें कई लोगों की जान जा चुकी हैं और बड़ी संख्या में संपत्ति व फसलों का नुकसान हुआ है। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम एवं संबंधित नियमों, दिशा-निर्देशों और कुछ प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव वन एवं वन्यजीव संरक्षण मंत्री एके ससींद्रन ने सदन में पेश किया था।
केरल का कहना है कि वन्यजीवों की रक्षा करने वाले केंद्रीय कानून, नियम, दिशा-निर्देश और प्रावधान बेहद सख्त हैं तथा जंगली सूअर जैसे जानवरों को नियंत्रित करने व उन्हें मारने में रुकावट पैदा करते हैं। जंगली सूअर जंगलों से बाहर आ जाते हैं और आम जनता को परेशान करते हैं। इसलिए उन्हें नियंत्रित करने के लिए भी वन्य जीव संरक्षण अधिनियम में संशोधन की जरूरत पर केरल ने बल दिया है। वन्य जीव संरक्षण कानूनों के प्रावधानों को समय और परिस्थितियों में बदलाव के साथ संशोधित नहीं किया गया, इसलिए भी इनमें संशोधन की आवश्यकता है।केरल चाहता है कि केंद्र जंगली सूअर को वर्मिन ( Vermin ) के रूप में वर्गीकृत करे।
उल्लेखनीय है कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 11 जंगली जानवरों के शिकार को नियंत्रित करती है। धारा 11 के खंड (1)(ए) के अनुसार, किसी राज्य का मुख्य वन्यजीव वार्डन यदि संतुष्ट है कि अनुसूची I में निर्दिष्ट एक जंगली जानवर (स्तनधारी) मानव जीवन के लिए खतरनाक हो गया है या ठीक होने से परे विकलांग या रोगग्रस्त हो गया है, ऐसे जानवर के शिकार या हत्या की अनुमति न देने की बात की गई है । यह धारा राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन को ऐसे जंगली जानवर को मारने का आदेश देने की शक्ति देती है, यदि उसे पकड़ने के बाद शांत नहीं किया जा सकता है या स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है।
अब, केरल धारा 11 (1) (ए) में संशोधन करना चाहता है ताकि चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन की उपर्युक्त शक्तियों को मुख्य वन संरक्षकों (सीसीएफ) को हस्तांतरित किया जा सके। राज्य का मानना है कि इस तरह के संशोधन से मानव जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाले जंगली जानवरों से निपटने की प्रक्रिया सरल हो जाएगी, जिससे अधिक स्थानीय स्तर पर त्वरित और समय पर निर्णय लिए जा सकेंगे। उल्लेखनीय है कि केरल में पांच सीसीएफ हैं, प्रत्येक राज्य के अलग-अलग क्षेत्र के प्रभारी हैं।