अक्सर सुर्खियों में रहने वाली संविधान की अनुसूची 6 में कौन से हैं प्रावधान
नई दिल्ली ( दस्तक ब्यूरो) : हाल ही में लद्दाख में स्थानीय नागरिकों के विरोध प्रदर्शन के बाद भारतीय संविधान की 6 वीं अनुसूची सुर्खियों में रही। लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश के लिए छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा देने और संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर हजारों लोगों ने मार्च निकाला था। इस संदर्भ में यह जानना जरूरी हो जाता है कि 6 वीं अनुसूची में ऐसा क्या प्रावधान है जिससे आदिवासी इलाकों के लोग अपने सुरक्षा के लिए अहम मानने लगते हैं।
आइए जानते हैं क्या कहती है अनुसूची 6 . छठी अनुसूची में संविधान के अनुच्छेद 244(2) और अनुच्छेद 275 (1) के तहत विशेष प्रावधान हैं। छठी अनुसूची का विषय असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन है। बारदलोई कमिटी की सिफारिशों पर संविधान में इस अनुसूची को जगह दी गई थी। छठी अनुसूची के तहत, जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिले बनाने का प्रावधान है। राज्य के भीतर इन जिलों को विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्वायत्ता मिलती है।
राज्यपाल को यह अधिकार है कि वे इन जिलों की सीमा घटा-बढ़ा, परिवर्तन कर सकते हैं। अगर किसी जिले में अलग-अलग जनजातियां हैं जो कई ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट बनाए जा सकते हैं।हर स्वायत्त जिले में एक ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (ADCs) बनाने का प्रावधान है। अधिकतम पांच साल के कार्यकाल वाली ADC में 30 सदस्य हो सकते हैं। इस काउंसिल को भूमि, जंगल, जल, कृषि, ग्राम परिषद, स्वास्थ्य, स्वच्छता, ग्राम और नगर स्तर की पुलिसिंग, विरासत, विवाह और तलाक, सामाजिक रीति-रिवाज और खनन आदि से जुड़े कानून, नियम बनाने का हक है।
इस संबंध में केवल असम की बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल अपवाद है जिसके 40 से ज्यादा सदस्य हैं और 39 विषयों पर कानून बनाने का अधिकार रखती है।क्या लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जा सकता है?
सितंबर 2019 में राष्ट्रीय अनुसूचति जनजाति आयोग ने लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की सिफारिश की। कहा कि नए केंद्रशासित प्रदेश की 97% से ज्यादा आबादी जनजातीय है। वहां देश के दूसरे हिस्सों से जमीन खरीदने-अधिग्रहण पर पाबंदी है, अलग सांस्कृतिक विरासत है जिसे संरक्षण की जरूरत है। अभी तक छठी अनुसूची में पूर्वोत्तर से इतर किसी इलाके को शामिल नहीं किया गया है। यहां तक कि मणिपुर जहां कुछ इलाकों में जनजातियों की बहुलता है, वहां की ऑटोनॉमस काउंसिल भी छठे शेड्यूल का हिस्सा नहीं हैं। नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश जो कि पूरे जनजातीय राज्य हैं, को भी छठी अनुसूची में शामिल नहीं किया गया।