अद्धयात्म

बंद होने वाले हैं मांगलिक कार्य, इतने दिनों तक नहीं बजेगी शहनाई

उज्‍जैन : हिंदू धर्म में खरमास का विशेष महत्व होता है. ज्योतिष गणना के मुताबिक खरमास के समय में शादी-विवाह जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते. ज्योतिष मान्यता के अनुसार जब सूर्य, मीन राशि में गोचर करता है तो उसे मीन मास कहा जाता है. साल में दो बार खरमास का माह लगता है. इतना ही नहीं खरवास एक ज्योतिषी घटना भी माना जाता है जो विभिन्न कार्यों के लिए शुभ अथवा अशुभ समय का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण होता है.

हिंदू पंचांग के मुताबिक साल 2024 में खरमास 14 मार्च से शुरू हो रहा है. जिसका समापन 13 अप्रैल को रात्रि 9:03 पर होगा. अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम ने कहा कि वर्ष में दो बार खरमास का माह लगता है. ज्योतिष के मुताबिक इस एक महीने में शुभ काम की मनाही होती है, इसलिए इन दिनों मुहूर्त नहीं होते हैं. खरमास के महीने में शुभ अथवा मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, कलश स्थापना नहीं किया जाता है तो वहीं धार्मिक कार्य जैसे पूजा, हवन आदि खरमास के माह में किया जा सकता हैं.

खरमास में देवी देवताओं ब्राह्मण और बुजुर्गों की सेवा आराधना की जाती है. ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. इसके अलावा खरमास के महीने में भगवान विष्णु की भी पूजा करने का भी विधान है. इस माह प्रतिदिन विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करना चाहिए. खरमास के दौरान पवित्रता बनाए रखने के लिए अगर संभव हो तो एक बार भोजन करना चाहिए. खरमास में पत्तों पर भोजन करने और जमीन पर सोने के भी विधान है. इतना ही नहीं खरमास के दौरान शुभ कार्यों को न करने की सलाह भी देनी चाहिए.

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