कौन हैं ए. एम. खानविलकर, जो बने लोकपाल अध्यक्ष
नई दिल्ली ( दस्तक ब्यूरो) : ओंबुड्समैन यानी लोकपाल एक अति महत्वपूर्ण भ्रष्टाचार विरोधी पद है जो देश में गुड गवर्नेंस की दिशा में काफ़ी अहमियत रखता है। भारत में भी लोकपाल का पद सृजित हो चुका है। एक लंबी लड़ाई के बाद इससे जुड़ा कानून 2013 में बना था। अब एक बार फिर लोकपाल का पद सुर्खियों में आ गया है। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए. एम. खानविलकर को केंद्र सरकार द्वारा लोकपाल अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। लोकपाल के नियमित अध्यक्ष का पद 27 मई, 2022 को न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष के सेवानिवृत्त हो जाने के बाद से खाली था।
लोकपाल के न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार मोहंती कार्यवाहक अध्यक्ष की भूमिका निभा रहे थे। राष्ट्रपति भवन की एक विज्ञप्ति के अनुसार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति अजय मानिकराव खानविलकर को लोकपाल का अध्यक्ष नियुक्त किया है। न्यायमूर्ति खानविलकर जुलाई 2022 में शीर्ष अदालत से सेवानिवृत्त हुए थे। उल्लेखनीय है कि लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाती है। लोकपाल में एक अध्यक्ष के अलावा चार-चार न्यायिक और गैर-न्यायिक सदस्य हो सकते है। साल 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आई थी। इस सरकार का भी पहला कार्यकाल लगभग खत्म होने वाले था लेकिन देश में लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो रही थी।
आखिरकार साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट को अल्टीमेटम देना पड़ा और इस सख्ती का नतीजा यह निकला कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस पीसी घोष के भारत का पहला लोकपाल नियुक्त किया गया। उनकी नियुक्ति की अधिसूचना राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी की गई थी। उनके नाम का चयन करने वाली समिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी शामिल थे। हालांकि समिति के सदस्य और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस बैठक में भाग नहीं लिया था।