राज्यराष्ट्रीय

सीमा पार से आतंकी हमले जारी रहे तो वार्ता का लाभ नहीं : फारूक

104769-farooq-abdullahदस्तक टाइम्स एजेंसी/जम्मू : जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कान्फ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि सीमा पार से यदि आतंकवादी हमले जारी रहते हैं तो पाकिस्तान के साथ भारत की द्विपक्षीय वार्ता का कोई लाभ नहीं होगा।

अब्दुल्ला ने कहा, ‘यदि आप आतंकवाद नियंत्रित नहीं कर सकते, हम बेहतर संबंध कैसे बना सकते हैं? यदि आप (यहां) लोगों की हत्या करने के लिए आदमी भेजना जारी रखेंगे तो संबंध अच्छे कैसे हो सकते हैं? आपने देखा कि पंपोर में क्या हुआ।’ उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ अच्छे संबंध हैं और हम उम्मीद करते हैं कि यह मित्रता आगे भी जारी रहेगी और भारत-पाकिस्तान संबंधों में और सुधार होगा। लेकिन यदि आतंकवाद जारी रहता है तो बातचीत का कोई लाभ नहीं होगा। पहला कर्तव्य आतंकवाद को रोकना है।’

उनसे पूछा गया कि क्या भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच से दोनों देशों के संबंधों में बेहतर बढ़ावा मिल सकता है। इस आरोप पर कि मोदी सरकार के चलते ध्रुवीकरण बढ़ रहा है उन्होंने कहा, ‘ताली दो हाथों से बजती है। यदि कांग्रेस अपने को मजबूत करती है और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को भी मजबूत करती है वह इसे नियंत्रित कर सकती है। यदि वे (कांग्रेस) केवल बयानबाजी करते हैं और सभी पार्टियों को इसके खिलाफ एकजुट नहीं करते, वे इसे (ध्रुवीकरण) को कैसे रोकेंगे।’

उन्होंने कहा, ‘भाजपा और आरएसएस को ही केवल जिम्मेदार ठहराना गलत है हममें भी खामियां हैं। उन खामियों के चलते ही वे प्रोत्साहित होते हैं। हम इन गलतियों का समाधान क्यों नहीं करते, हमें यह पता लगाना चाहिए कि हमने कहां गलतियां की हैं जिसके कारण वे प्रोत्साहित हुए हैं।’
अब्दुल्ला ने संसद हमले के दोषी अफजल गुरू की फांसी पर जेएनयू में कार्यक्रम आयोजन को लेकर असहमति जतायी और कहा कि इससे विश्वविद्यालय ‘बदनाम’ हुआ है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘अफजल गुरु को परिसर में लाने की क्या जरूरत थी? जिस किसी ने भी मुद्दे को उठाया उसने गलत किया। उसने जेएनयू को बदनाम किया और उसका नाम खराब किया।’

उन्होंने कहा, ‘यदि पुलिस नहीं बुलाई गई होती, कुलपति ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया होता जब मुद्दा बढ़ा, देश में मामला गरम हो गया।’ घटना के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के जेएनयू दौरे पर उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस को इस पर सोचना है। फारूक अब्दुल्ला की इसमें कोई भूमिका नहीं है, फारूक उनके सलाहकार नहीं हैं, मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता।’

Related Articles

Back to top button