कंपनी मैनेजर ने 4th स्टेज कैंसर मरीज को ड्यूटी करने के लिए किया मजबूर, ईमेल में लिखा मैसेज देख भड़के लोग
नई दिल्ली: नौकरी के चक्कर में एक बीमार महिला के परिवार पर कितना फाइनेंशियल और इमोशनल बोझ पड़ रहा है इसका ताजा मामला हैरान और शर्मसार करने वाला है । इस संबंध में महिला की बेटी, जो एक कॉलेज छात्रा है, की ऑनलाइन पोस्ट ने सबको गुस्सा दिला दिया है। मामला आयरलैंड का है। छात्रा ने बताया कि उसकी मां 18 महीने से स्टेज 4 कैंसर से जूझ रही है । बावजूद इसके कंपनी मैनेजर ने उन पर वापस काम पर आने का दबाव बनाया। @disneydoll96 नाम के यूजर ने अपनी मां के सुपरवाइजर के ईमेल का स्क्रीनशॉट शेयर किया ।
ईमेल में लिखा था कि डॉक्टर का सर्टिफिकेट लाना जरूरी है जो ये बताए कि वो काम के लिए फिट हैं। साथ ही उनकी बीमारी और इलाज के बारे में भी जानकारी मांगी गई। ईमेल में ये भी लिखा था कि वो अगले दिन मीटिंग में जरूर आएं। इस ईमेल में उनकी बीमारी को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया और उन्हें कोई सहूलियत नहीं दी गई। छात्रा ने कहा कि मां ठीक होकर वापस काम पर आना चाहती हैं लेकिन अभी उनके पति के गुजर जाने के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसलिए बेटी पढ़ाई पूरी कर रही है ताकि वो जल्द नौकरी करके घर का सहारा बन सके।
कॉमेंट सेक्शन में बेटी ने बताया कि मां की हालत काफी खराब है। उसने कहा, “उन्हें कैंसर होने के बाद से हर हफ्ते करीबन 200 यूरो की बीमारी के फायदे के तौर पर सरकारी मदद मिल रही थी, लेकिन कुछ समय पहले उन्हें ये बदलना पड़ा क्योंकि बीमारी के फायदे एक तय समय तक ही मिलते हैं।” अब उन्हें एक अलग सरकारी मदद मिल रही है जो विकलांग लोगों को दी जाती है। मामला आयरलैंड से आई है और ये इस बात को बताती है कि इस बीमारी और नौकरी के चक्कर में इस परिवार पर कितना फाइनेंशियल और इमोशनल बोझ पड़ रहा है।
मां ठीक होकर वापस काम पर आना चाहती हैं, लेकिन अभी उनके पति के गुजर जाने के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसलिए बेटी पढ़ाई पूरी कर रही है ताकि वो जल्द नौकरी करके घर का सहारा बन सके। बेटी ने बताया कि मां की हालत काफी खराब है. उसने कहा, “उन्हें कैंसर होने के बाद से हर हफ्ते करीबन 200 यूरो की बीमारी के फायदे के तौर पर सरकारी मदद मिल रही थी, लेकिन कुछ समय पहले उन्हें ये बदलना पड़ा क्योंकि बीमारी के फायदे एक तय समय तक ही मिलते हैं। ” अब उन्हें एक अलग सरकारी मदद मिल रही है जो विकलांग लोगों को दी जाती है।