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अक्षय तृतीया पर 61 साल बाद पहली बार एक भी विवाह मुहूर्त नहीं

नई दिल्ली : इस साल अक्षय तृतीया का पर्व 10 मई को मनाया जाएगा। हर साल इस अबूझ मुहूर्त में ढेरों शादियां होती हैं, लेकिन इस साल शुक्र ग्रह के अस्त होने के कारण शादी का एक भी मुहूर्त नहीं है। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो 61 साल के बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जब अक्षय तृतीया पर विवाह समेत अन्य मांगलिक कार्य नहीं किया जा सकेगा। विवाह के लिए 28 जून को शुक्र ग्रह उदय होगा। इसके बाद ही विवाह के लिए मुहूर्त निकलेगा। इधर विवाह के लिए मुहूर्त नहीं होने से जिनकी सगाई तय हो चुकी है, उन्हें मांगलिक कार्यों के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा।

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि जनवरी 2024 के पहले 15 दिनों में सूर्य धनु राशि में रहा। धनुर्मास होने से विवाह के लिए कोई मुहूर्त नहीं था। 16 जनवरी से 31 जनवरी के बीच विवाह के लिए 9 मुहूर्त थे। इसमें ढेरों शादियां हुई। 14 मार्च को सूर्य मीन राशि में आएगा। इसी के साथ ही खरमास शुरू होगा, जो 15 अप्रैल तक रहेगा।

धार्मिक मान्यता के अनुसार इस एक महीने में शुभ कार्य की मनाही होती है, इसलिए इन दिनों में कोई भी मांगलिक कार्य वर्जित रहेगा। अप्रैल महीने में 18 अप्रैल और 26 को विवाह के लिए सिर्फ दो मुहूर्त है। 1 मई से शुक्र ग्रह अस्त हो रहा,जो कि 2 जुलाई को पश्चिम दिशा में उदय होगा। इसी तरह 7 मई को गुरू ग्रह अस्त हो रहा है, जो कि 1 जून को उदय होगा। शास्त्र के अनुसार विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्यों के लिए इन ग्रहों का उदयमान रहना अनिवार्य है। जबकि अक्षय तृतीय का पर्व 10 मई को मनाया जाएगा। गुरू और शुक्र ग्रह को दाम्पत्य जीवन का आधार माना गया है। इन दोनों ग्रहों के अस्त होने से विवाह सहित मांगलिक कार्यों पर ब्रेक लग जाएगा।

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि देव पंचांग के अनुसार विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्य के लिए जुलाई महीने में 9, 11 और 12 तारीख को शुभ मुहूर्त हैं। इन तिथियों में विवाह किए जा सकेंगे। इसके बाद विवाह के लिए फिर से लोगों को तीन माह का इंतजार करना होगा। नवंबर महीने में 22, 23 और 27 तारीख को विवाह के लिए शुभ मुहूर्त हैं। इसके बाद दिसंबर महीने से विवाह के लिए कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं।

किसान संतोष साहू, छन्नूलाल साहू, लक्ष्मीनारायण साहू ने बताया कि अक्षय तृतीय के दिन पूजा-अर्चना करने के बाद दोना एवं अन्य पात्र में सुबह ठाकुरदेव और शीतला माता को धान अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि पूजा-अर्चना कर ठाकुर देवता से अच्छी फसल के लिए प्रार्थना की जाती है।धर्म शास्त्रों में अक्षय तृतीय को अबूझ मुहूर्त माना गया है। इस दिन माता अन्नापूर्णा, भगवान लक्ष्मीनारायण की विशेष पूजा-अर्चना का विधान बताया गया है। इस दिन महानदी सहित त्रिवेणी संगम में अलसुबह पुण्यस्नान करने की परंपरा का भी निर्वहन किया जाता है।

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