नॉन-स्टिक बर्तनों में बना खाना, कैंसर जैसी घातक बीमारियों को दे सकता है दावत
लखनऊ: इंडियन मेडिकल काउंसिल और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन व राष्ट्रीय पोषण संस्थान ( एन.आई.एन. ) के भारतवासियों के लिए जारी डायट्री गाइडलाइन में नॉन-स्टिक बर्तनों में खाना बनाने से परहेज करने की सलाह दी है। खासकर एन.आई.एन. का कहना है कि नॉन-स्टिक बर्तनों में खाना बनाते समय हानिकारक रसायन निकलते हैं जो खाना में मिल जाते हैं और कई बीमारियों को जन्म देते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो नॉन-स्टिक बर्तन में बना खाना कैंसर जैसी घातक बीमारियों को भी जन्म दे सकता है।
नॉन-स्टिक बर्तन लेकर क्या है भ्रम
एन.आई.एन. के मुताबिक नॉन-स्टिक बर्तनों में खाने की पौष्टिकता जहां कम हो जाती है, वहीं दूसरी ओर खाने में रसायन मिलने के कारण यह शरीर को भारी नुकसान पहुंचाता है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सी.एम.आई. अस्पताल बेंगलुरु की क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट एडविना राज के हवाले से कहा गया है कि आजकल बाजार में तेजी से नॉन-स्टिक बर्तन बिक रहे हैं और दावा किया जाता है कि यह बर्तन बहुत अच्छा होता है। आपको बताया जाता है कि इससे धुआं अंदर नहीं जाता है, दूसरी ओर इससे बर्तन भी खराब नहीं होता है। हालांकि हकीकत यह है कि नॉन स्टिक बर्तन को कोटिंग करने के लिए टेफलॉन का इस्तेमाल किया जाता है।
बर्तन परफ्लूरोऑक्टानोक एसिड करते हैं रिलीज
टेफलॉन जैसे ही गर्म होता है उससे परफ्लूरोऑक्टानोक एसिड (पी.एफ.ओ.ए.) रिलीज होने लगता है। इसे पी.एफ.ओ.ए. बेहद हानिकारक रसायन है जिससे कैंसर जैसी घातक बीमारी हो सकती है। पी.एफ.ओ.ए. से थायराइड और बच्चों के जन्म में भी परेशानी होती है। हालांकि अब अधिकांश कंपनियां पी.एफ.ओ.ए. को अपने बर्तनों से हटाने की बात मान ली है। इसके बावजूद यदि नॉन-स्टिक बर्तन ज्यादा गर्म होने लगता है तो इसके कई खतरे हैं। ज्यादा गर्म नॉन-स्टिक बर्तन हानिकारक धुआं बनाता है जिससे फेफड़े पर असर पड़ता है और उससे पोलिमर फ्यूम फीवर का खतरा बढ़ जाता है। अगर नॉन-स्टिक बर्तन 170 डिग्री से ज्यादा गर्म होता है तो रसायनों का खतरा कहीं अधिक बढ़ जाता है।
इन बर्तनों का भी न करें इस्तेमाल
एन.आई.एन. ने बताया है कि चटनी और सांभर को एल्यूमीनियम, आयरन, ब्रास और कॉपर के बर्तन में न रखें क्योंकि इसकी अम्लता बढ़ जाएगी और इससे नुकसान होगा। वहीं एल्युमिनियम के बर्तन भी खाना बनाने के लिए अच्छा नहीं माना गया है। इससे अल्यूमिनियम रिसकर भोजन में मिल सकता है।
मिट्टी के बर्तन के बर्तन में खाना बनाना क्यों है सुरक्षित
खाना बनाने के लिए स्टेनलेस स्टील के बर्तन को बेहद सुरक्षित माना जाता है। यह टिकाऊ भी होता है और हाइजेनिक भी होता है। हालांकि मिट्टी का बर्तन खाना बनाने के लिए सबसे सुरक्षित और उत्तम है। यदि इसकी साफ-सफाई का बेहतर ढंग से ख्याल रखा जाए तो इसमें बने भोजन की पौष्टिकता नष्ट नहीं होती और इसमें ज्यादा तेल या घी नहीं लगता है। यह पौष्टिकता को संघनित करता है। अगर आपका बर्तन सही नहीं है तो इससे खाने की पौष्टिकता तो नष्ट होगी ही, साथ ही आप कई बीमारियों का भी शिकार हो जाएंगे। इस लिहाज से मिट्टी के बर्तन इको-फ्रेंडली होते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मिट्टी के बर्तन में पहले से कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम और आयरन मौजूद होते हैं जो हड्डियों को मजबूत बनाने में फायदेमंद है। मिट्टी के बर्तन में बने भोजन की अम्लता बहुत कम होती है जिसके कारण यह इससे एसिडिटी नहीं होती है और कोलेस्ट्रॉल लेवल भी कम हो जाता है।