कमल किशोर का संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के प्रतिनिधि के रूप में कार्यकाल हुआ शुरू
नई दिल्ली: आपदा एवं जलवायु जोखिम प्रबंधन से जुड़े शीर्ष भारतीय अधिकारी कमल किशोर ने संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख एंतोनियो गुतारेस के विशेष प्रतिनिधि (आपदा जोखिम उपशमन) के रूप में अपने कार्यकाल की शुरुआत की है। गुतारेस ने 28 मार्च को किशोर (55) को अपना विशेष प्रतिनिधि (आपदा जोखिम उपशमन) एवं संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम उपशमन कार्यालय (यूएनडीआरआर) का प्रमुख नियुक्त किया था। किशोर इससे पहले राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) से संबद्ध थे। अब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम उपशमन कार्यालय में जापान की मामी मिजूटोरी की जगह ली है।
यूएनडीआरआर ने 20 मई को किशोर के आगमन का स्वागत किया जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के विशेष प्रतिनिधि (आपदा जोखिम उपशमन) (एसआरएसजी) तथा यूएनडीआरआर के प्रमुख के तौर पर अपना कार्यकाल प्रारंभ किया। कार्यालय ने बृहस्पतिवार को एक बयान में यह जानकारी दी। किशोर ने कहा कि यूएनडीआरआर बढ़ती आशंकाओं के आलोक में आपदा जोखिमों को कम करने के वैश्विक प्रयास को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । उन्होंने कहा कि वह अबतक हुई प्रगति को आगे ले जाने के लिए आशान्वित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यूएनडीआरआर की महत्वाकांक्षा इस समस्या के पैमाने से मेल खाती है।” उन्होंने पूर्व एसआरएसजी मिजूटोरी के नेतृत्व की सराहना की तथा यूएनडीआरआर के निदेशक पाओलो अल्टब्रिटो को उनके आगमन से पूर्व कार्यवाहक एसआरएसजी के रूप में सेवा देने के लिए धन्यवाद दिया। किशोर 2015 से भारत के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के विभागाध्यक्ष के रूप में अपनी सेवा दे चुके हैं।
उन्होंने जी 20 की भारत द्वारा अध्यक्षता संभालने के दौरान आपदा जोखिम उपशमन पर जी 20 कार्यबल की अध्यक्षता की थी। एनडीएमए से जुड़ने से पहले किशोर ने जिनेवा, नयी दिल्ली और न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) में करीब 13 साल गुजारे थे। इस दौरान उन्होंने संपोषणीय विकास लक्ष्यों में आपदा लचीलापन विषयों के समावेशन की खातिर तथा यूएनडीपी कार्यक्रम वाले देशों के वास्ते आपदा जोखिम उपशमन की वैश्विक टीम के लिए अंतरराष्ट्रीय मुहिम की अगुवाई की थी। किशोर ने थाईलैंड के बैंकॉक स्थित ‘एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी’ से शहरी नियोजन, भू एवं आवास विकास में स्नातोकोत्तर (विज्ञान) किया है । उन्होंने रूड़की के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से वास्तुकला इंजीनियरिंग में स्नातक किया था।