नई दिल्ली : ज्येष्ठ महीने की अमावस्या बहुत खास है। खासकर शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढ़ैया और शनि की महादशा से पीड़ित लोगों के लिए 6 जून का दिन बहुत खास होने वाला है। इस दिन शनि जयंती है। इस दिन अगर शनि देव को प्रसन्न कर लिया जाए तो शनिदेव अपनी कृपा बरसाते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन सुबह वट सावित्री व्रत की पूजा की जाती है और शनि देव की जयंती भी धूमधाम से मनाई जाती है। शनि मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए जुटे रहे। इस दिन गुप्त दान का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि श्रृष्टि के संचालक प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य के पुत्र शनिदेव का तेल से अभिषेक करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
शनि साढ़ेसाती वालों और महादशा के लोगों को शनि जयंती बहुत खास राहत का मौका लाती है। इस दिन शनि को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय किए जाते हैं, जिनसे शनि भगवान प्रसन्न होकर अपनी कृा देते हैं। इसलिए इस दिन सरसों या तिल का तेल साफ बर्तन में रखकर चेहरा देखना चाहिए। इस तेल को बर्तन सहित किसी शनि मंदिर में दान कर देना चाहिए। इस दान को शास्त्रों में छाया दान कहते हैं। कहते हैं, इस दान को करने से शनि के कईग्रह दोष दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही काले छाते का भी दान किया जाता है। इस दिन हनुमान जी को चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर चढ़ाना शुभ माना जाता है।