मध्य प्रदेशराज्य

शैक्षणिक संस्थानों में काउंसलर्स और साइकॉलजिस्ट्स समय की माँग

अतुल मलिकराम, समाजसेवी

शिक्षा निरंतर रूप से चलने वाली यात्रा है, मंजिल नहीं। कारण कि जीवन में शिक्षा और ज्ञान जितना भी अर्जित किया जाए, इसका पिटारा कभी नहीं भरता। यह सतत रूप से चलने वाली प्रक्रिया है, जो इंसान को कक्षाओं और पाठ्यपुस्तकों की सीमा से परे वृद्धि और विकास की सुगम राह पर ले जाती है। जैसे-जैसे छात्र इस यात्रा में आगे बढ़ते हैं, उनके व्यवहार, दृष्टिकोण और ज्ञान में महत्वपूर्ण बदलाव होते चले जाते हैं। हालाँकि, ये बदलाव सकारात्मक होते हैं, लेकिन जैसा कि कहा जाता है ‘हर सिक्के के दो पहलू होते हैं’, ठीक उसी प्रकार अच्छे के साथ ही साथ ये कुछ स्थितियों में बुरे परिणाम अपने साथ ले आते हैं। ये बदलाव कभी-कभी छात्रों के सीखने के कौशल में चुनौतियाँ पैदा कर सकते हैं, जो कई दफा जानलेवा भी साबित होते हैं। ऐसे में, स्कूलों और कॉलेजों में काउंसलर्स और साइकॉलजिस्ट्स की विशेषज्ञता अपरिहार्य हो जाती है।

एक अध्ययन के अनुसार, जिन स्कूलों में निरंतर रूप से काउंसलिंग प्रोग्राम्स का आयोजन होता है, उन स्कूलों के छात्रों में उल्लेखनीय सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। ऐसे संस्थानों में पाया गया कि वे अपने आसपास सकारात्मक माहौल महसूस करते हैं, परिसर में खुशी की भावना और सुरक्षा की अधिकता महसूस करते हैं और एक-दूसरे से मजबूत संबंध साझा करते हैं। यह न सिर्फ उच्च शैक्षणिक उपलब्धि है, बल्कि एक छात्र द्वारा सामना करने वाली समस्याओं को कम करने में भी सहायक है। स्कूल काउंसलर्स विभिन्न प्रकार के मुद्दों को संबोधित करके छात्रों के जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस माहौल में, सामाजिकता और स्वस्थ रिश्ते बनाने की चुनौतियाँ इन स्कूल काउंसलर्स के मार्गदर्शन से पार हो जाती हैं, जो अथक रूप से न सिर्फ छात्रों को उचित सलाह देते हैं, बल्कि उनकी बात को गहनता से सुनते भी हैं।

एक ऐसे युग में, जहाँ मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही हैं, स्कूल काउंसलर्स पहली पंक्ति में आकर खड़े हो गए हैं और संभावित मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में छात्रों को सक्रिय रूप से समर्थन दे रहे हैं। शिक्षण संस्थानों में उनके शामिल होने से छात्रों के बीच आत्महत्या की संभावना को काफी हद तक कम करने में मदद मिल रही है। ये परिणाम महज संयोग से हासिल नहीं हो रहे हैं, बल्कि कुशल स्ट्रेटेजीस के संयोजन से प्राप्त हो रहे हैं। ये काउंसलर्स, गार्डियन्स की तरह किरदार निभाते हैं। वे जोखिम वाले छात्रों और उनके माता-पिता के साथ कँधे से कँधा मिलाकर चलते हैं और एक सुरक्षा कवच बनाते हैं, जो कक्षा की दीवारों तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि बाहर की दुनिया में चल रही उनकी परेशानियों से भी उन्हें बचाकर रखता है। वे रोकथाम के उद्देश्य से विशेष एजुकेशनल प्रोग्राम्स के आयोजन भी करते हैं। इन प्रोग्राम्स की परिभाषा महज पाठ की सीमा के कहीं अधिक हैं, ये जीवन के पाठ हैं, जो छात्रों को जरूरत पड़ने पर खुलकर मदद माँगने की अमूल्य कला सिखाते हैं।

यदि कोई छात्र डिप्रेशन का शिकार हो रहा है या फिर उसका मस्तिष्क ऐसी राह की ओर बढ़ रहा है, जो उसके लिए हानिकारक है, तो ये काउंसलर्स उसे पुनः ट्रैक पर लाने का हुनर रखते हैं। आज बड़े-बड़े संस्थानों आदि में पढ़ने वाले छात्रों द्वारा लगातार आत्महत्या के मामले सामने आ रहे हैं। यह दर्शाता है कि हमारे बच्चों की मानसिक स्थिति उतनी मजबूत नहीं रही, जितनी कि पहले के समय में हुआ करती थी। वर्तमान समय में प्रतियोगिता की होड़ इस कदर बढ़ गई है कि छात्र थोड़ी-सी हार में ही खुद को पूरी तरह हारा हुआ समझ लेते हैं। उनमें वह क्षमता अब कम ही देखने को मिलती है कि इस बार सकारात्मक परिणाम नहीं आया, तो क्या हुआ, कल भी हमारा ही है। कुल मिलाकर प्रयास जारी रखने के लिए उन्हें निरंतर रूप से प्रेरित करने वाले एक कुशल शख्स की जरुरत समय की माँग है, जिसमें काउंसलर्स ने खुद को श्रेष्ठ साबित किया है।

प्रोफेशनल काउंसलर्स शिक्षा के दूरदर्शी हैं, जो पारंपरिक तरीकों के विपरीत, मुख्य रूप से कागजी कार्रवाई और प्रशासनिक कार्यों पर भी ध्यान केंद्रित करते हैं। आज के प्रोफेशनल काउंसलर्स में बच्चों को उनकी भलाई की कोई भी बात सिखाने की महारत हासिल है, वे छात्रों के लिए जटिल अवधारणाओं को समझकर, उनसे उन्हीं के सलीके से बात करके, उन पर गहनता से ध्यान केंद्रित करके और तमाम मुश्किलों से बाहर लाकर शिक्षा के दौरान उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए सक्रिय रूप से तैयार करते हैं। वे छात्रों के नवीन तरीके से सोचने और सीखने को आकर्षक ही नहीं, बल्कि प्रभावी भी बनाते हैं, क्योंकि वे समझते हैं कि शिक्षा की परिभाषा सिर्फ किताबों तक ही सीमित नहीं है; यह छात्रों के दिल और दिमाग के बारे में है।

कई छात्रों को करियर का रास्ता चुनने में कई चुनौतियों या कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जो उनके जीवन के लिए भारी पड़ सकता है। परिणामस्वरूप, कुछ छात्र अपनी रुचियों और प्राथमिकताओं पर विचार किए बिना ही सिर्फ आगे की शिक्षा के लिए बेहतर पाठ्यक्रमों में दाखिला ले सकते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में मजबूत मार्गदर्शन और काउंसलिंग छात्रों को सही करियर विकल्प चुनने में मदद करते हैं। काउंसलर्स छात्रों की रुचियों, प्रतिभा और जुनून की पहचान करने में उनकी सहायता करते हैं, जो अंततः उन्हें उनकी व्यक्तिगत आकांक्षाओं के आधार पर सबसे उपयुक्त पाठ्यक्रमों का चयन करने के लिए उचित मार्गदर्शन करते हैं।

नई शिक्षा नीति के पन्नों में शासन का आदेश शामिल है, सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि अनगिनत युवा जिंदगियों की खामोश गूँज में भी। यह एक अधिदेश है, जो शिक्षा के सार को ढालने में स्कूल काउंसलर्स की अपूरणीय भूमिका को मान्यता प्रदान करता है। प्रत्येक स्कूल के लिए इन काउंसलर्स को अपनाने को दायित्व के रूप में पेश करके, शिक्षा नीति इस गहन सत्य को स्पष्ट करती है कि शिक्षा सिर्फ पाठ्यपुस्तकों और परीक्षाओं के बारे में नहीं है, बल्कि यह हमारे छात्रों के कोमल दिलों और नाजुक सपनों को पोषित करने पर भी आधारित है। शैक्षणिक संस्थानों में काउंसलर्स और साइकॉलजिस्ट्स छात्रों की शैक्षणिक यात्रा में उनके लिए अमूल्य संपत्ति हैं। वे शैक्षणिक और व्यक्तिगत विकास दोनों के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करते हैं, मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने वाले लोगों के लिए जीवन रेखा प्रदान करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि छात्र अपने भविष्य के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्णय लें। शिक्षा एक आजीवन प्रयास है, जिसमें ये प्रोफेशनल्स छात्रों को उनकी पूरी क्षमता को उजागर करने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनका समर्पण और विशेषज्ञता मान्यता और सराहना के पात्र हैं, क्योंकि वे देश के भविष्य यानि मौजूदा छात्र और परिवर्तन-निर्माताओं को सकारात्मक दिशा की ओर अग्रसर करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

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