पिछले वित्त वर्ष में ढाई गुना बढ़े बैंकों में धोखाधड़ी के मामले, लोन संबंधी जालसाजी सबसे अधिक
नई दिल्ली : बैंकों से जुड़े धोखाधड़ी के मामले बीते वित्त वर्ष में ढाई गुना से अधिक बढ़कर 36,075 रहे। हालांकि, इस दौरान धोखाधड़ी वाली राशि 46.7 प्रतिशत घटकर 13,930 करोड़ रुपये रही। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की सालाना रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान धोखाधड़ी के मामलों की संख्या 36,075 हो गई, जो एक साल पहले 13,564 थी।
वहीं, धोखाधड़ी में शामिल राशि 13,930 करोड़ रुपये रही, जो एक साल पहले 26,127 करोड़ रुपये थी। मूल्य के संदर्भ में पिछले वित्त वर्ष में हुई धोखाधड़ी में शामिल राशि 2022-23 में रिपोर्ट की गई धोखाधड़ी का 94 प्रतिशत है। रिपोर्ट के अनुसार, संख्या के संदर्भ में धोखाधड़ी मुख्य रूप से कार्ड/ इंटरनेट जैसे डिजिटल भुगतान श्रेणी में हुई। वहीं, मूल्य के संदर्भ में, धोखाधड़ी मुख्य रूप से कर्ज (अग्रिम श्रेणी) के मामले में रही।
पिछले तीन साल में धोखाधड़ी के मामलों के आकलन से पता चलता है कि निजी क्षेत्र के बैंकों ने सबसे ज्यादा धोखाधड़ी के मामलों की सूचना दी। वहीं, धोखाधड़ी में शामिल राशि के मामले में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का योगदान पहले की तरह सबसे ज्यादा रहा। छोटी राशि के कार्ड/इंटरनेट धोखाधड़ी के मामले में निजी क्षेत्र के बैंकों में सबसे ज्यादा मामले आये। वहीं, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में धोखाधड़ी मुख्य रूप से कर्ज श्रेणी में रही।
इसके अलावा, 2022-23 और 2023-24 के दौरान रिपोर्ट की गई धोखाधड़ी की घटनाओं का विश्लेषण करने से पता चलता है कि धोखाधड़ी की घटना की तारीख और उसका पता लगाने के बीच एक महत्वपूर्ण समय-अंतराल दिखता है। यानी फ्रॉड को पकड़ने में काफी वक्त लगता है।
आरबीआई के अनुसार, ऑनलाइन राशि पाने या भेजने के लिए रियल टाइम वेरीफिकेशन लागू किया जा सकता है। इस संभावना को टटोला जा रहा है। इसका मकसद धोखाधड़ी पर अंकुश लगाना व भुगतान अनुभव को और बेहतर बनाना है। इस व्यवस्था को नए अधिनियम ‘डिजिटल व्यक्तिगत सूचना संरक्षण कानून, 2023’ के अनुपालन के तहत लागू किया जा सकता है। इसके जरिए राशि भेजने से पहले उसे प्राप्त करने वाले के नाम का रियल टाइम यानी उसी वक्त सत्यापन किया जाएगा।