चीन-पाकिस्तान से कैसे निपटेंगे? विदेश मंत्री का पद संभालने के बाद जयशंकर ने बताई योजना
नई दिल्ली : एनडीए सरकार में मंत्रियों का शपथ ग्रहण और विभागों का बंटवारा हो चुका है। जिसके बाद मंगलवार को एस जयशंकर ने बतौर विदेश मंत्री अपना कार्यभार संभाल लिया। इस दौरान उन्होंने विदेश नीति के मोर्चे पर सरकार की योजनाओं के बारे में बात की। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि ‘आज दुनिया में बहुत उथल-पुथल है, दुनिया खेमों में बंट गई है और तनाव और संघर्ष भी बढ़ रहे हैं। ऐसे वक्त में भारत की पहचान एक ऐसे देश की है, जिस पर विश्वास किया जा सकता है, जिसकी एक प्रतिष्ठा और प्रभाव है।’
अगले पांच साल चीन और पाकिस्तान के साथ संबंधों के सवाल पर एस जयशंकर ने कहा कि ‘कोई भी देश, खासकर एक लोकतंत्र में किसी भी सरकार का लगातार तीसरी बार चुना जाना एक बड़ी बात है। दुनिया को इससे पता चलेगा कि भारत में राजनीतिक स्थिरता है… जहां तक पाकिस्तान और चीन की बात है तो दोनों देशों के साथ रिश्तें अलग-अलग हैं तो समस्याएं भी अलग होंगी। हमारी कोशिश है कि चीन के साथ सीमा विवाद का हल खोजा जाए और पाकिस्तान के साथ हम चाहते हैं कि सीमापार आतंकवाद के मुद्दे पर कोई हल निकाला जाए।’
विदेश मंत्री ने कहा ‘मेरे लिए यह बेहद सम्मान की बात है कि मुझे एक बार फिर से विदेश मंत्रालय का नेतृत्व करने का मौका दिया गया है। पिछले कार्यकाल में विदेश मंत्रालय ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। हमने जी20 की सफल अध्यक्षता की। कोरोना की चुनौती का सफलतापूर्वक सामना किया। वैक्सीन मैत्री के तहत वैक्सीन की सप्लाई भी की गई। साथ ही कई अहम ऑपरेशन जैसे ऑपरेशन गंगा और ऑपरेशन कावेरी चलाए गए। बीते दशक में पीएम मोदी के नेतृत्व में विदेश मंत्रालय जन-आधारित हो गया है। आप देख सकते हैं कि हमारी पासपोर्ट सेवाएं बेहतर हुई हैं। साथ ही हमने समुदाय के कल्याण और विदेश में रहने वाले भारतीयों के लिए काम किया है।’
भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल किए जाने की मांग कर रहा है। जब इसे लेकर विदेश मंत्री से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ‘मुझे पूरा विश्वास है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में विदेश नीति काफी सफल रहेगी। हमारे लिए, भारत का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। दुनिया के देशों को लगता है कि भारत उनका दोस्त है और मुश्किल के समय में वे हमारी तरफ देखते हैं। वैश्विक दक्षिण में अगर कोई देश उनके लिए खड़ा होता है तो वो भारत ही है। जी20 की अध्यक्षता के दौरान हमने अफ्रीकन यूनियन को जी20 की सदस्यता दिलाई। जैसे-जैसे दुनिया का हम पर विश्वास बढ़ रहा है, वैसे ही हमारी जिम्मेदारी भी बढ़ रही है। हमें लगता है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की पहचान निश्चित तौर पर बढ़ेगी।’