PM मोदी के SCO समिट में जाने पर सस्पेंस, इस वजह से बना सकते हैं दूरी
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 3-4 जुलाई को कजाकिस्तान के अस्ताना में होने वाले SCO समिट में शामिल होने की संभावना कम है। सूत्रों के मुताबिक, संसद सत्र 3 जुलाई तक चलने के कारण पीएम मोदी इस बार समिट में शामिल न होने का फैसला कर सकते हैं। पीएम मोदी पहले नियमित रूप से यूरेशियन ब्लॉक की शिखर बैठकों में हिस्सा लेते रहे हैं। इस बार उम्मीद थी कि पीएम मोदी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता कर सकते हैं। इसके अलावा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंगऔर पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ से भी आमना-सामना हो सकता है।
2024 लोकसभा चुनाव में एनडीए की जीत के बाद पीएम मोदी लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने हैं। नई सरकार का गठन होने के बाद सोमवार को पहला संसद सत्र शुरू हो रहा। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी पार्लियामेंट सेशन में शामिल होंगे। यही वजह है कि वो एससीओ समिट से दूरी बना सकते हैं। वहीं पीएम मोदी के इस शिखर सम्मेलन में दूरी की एक और वजह है। ऐसा माना जा रहा कि चीन और पाकिस्तान के साथ संबंधों की स्थिति को देखते हुए, पीएम मोदी शायद शी जिनपिंग और शहबाज शरीफ के साथ किसी भी तरह की बातचीत नहीं करना चाहते।
हालांकि, भारत पहले भी कह चुका है कि वह क्षेत्र की शांति, स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए SCO को बहुत महत्व देता है। पीएम मोदी ने 2018 में SECURE का नारा दिया था। इसका मतलब है- सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और व्यापार, संपर्क, एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान, पर्यावरण। SCO के पूर्ण सदस्य होने के बावजूद, भारत इस ग्रुप में इस मायने से अलग है कि यह चीन के BRI का समर्थन नहीं करने वाला और पाकिस्तान के साथ कोई द्विपक्षीय जुड़ाव नहीं रखने वाला एकमात्र सदस्य है।
भारत ने SCO मंच का इस्तेमाल सदस्य देशों, खासकर पाकिस्तान और चीन को बार-बार ये याद दिलाने के लिए किया है कि ग्रुप का एक मूल उद्देश्य आतंकवाद से लड़ना था। साथ ही यह भी कि सभी राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें। SCO समिट की मेजबानी पिछले साल भारत ने की थी, लेकिन वर्चुअल मीटिंग थी। भारत के पास पिछले साल SCO की अध्यक्षता थी।